ऐ मन! बोल क्या लिखूं
शब्दों के तानेबाने से नई रचना कैसे बुनूं
विचारों का समंदर शांत सा लग रहा
ऐसा लगता मानो समंदर की गहराइयों मे
शब्दों के मोती खोज रहा
अब तू ही बता क्या लिखूं
कागज आस के पर लगा कर
रहे हैं उड़
कलम शब्दों को उगलने के लिये
रही है मचल
अब तू ही बता,नयी रचना कैसे गुथूं
लिख लिया प्रकृति पर
लिख लिया विकृति पर
लिख लिया अंजन पर
लिख लिया खंजन पर
फिर भी,विचारों के मंथन से
सार नही रहा निकल
अब तू ही बता क्या लिखूं
लिख लिया गागर पर
लिख लिया सागर पर
लिख लिया आस पर
लिख लिया विश्वास पर
अब तू तो बता क्या नया लिखूं
लिख लिया समाज पर
लिख लिया विकास पर
लिख लिया कठिनाई पर
लिख लिया मंहगाई पर
अब तू ही बता, किस विषय को चुनूं
अनछुई न रह पाई,कलम की धार से
हार और जीत
सफलता और असफलता
अमीर और गरीब
किस्मत और तकदीर
प्रकृति की सीख
पता है हमारे पास विचारों का समंदर है
लेकिन,विषयवस्तु नही आ रही है पकड़
शब्दों को रचना मे,कैसे लूं जकड़
अब तू ही बता शब्दों के तानेबाने से
कविता या कहानी कैसे बुनूं
ऐ मन!अब तू ही बता क्या लिखूं