तपती हुई दोपहर हो या हो
बारिश से आमना-सामना…..
चलते हुए राह में राही का राह में
छांव मिलते ही रुक कर ठहर जाना…
हर इंसान को पेड़ों की अहमियत बता देता है…..
खुद की उपयोगिता समझकर तरुवर
नि:स्वार्थ भाव से मुस्करा देता है…..
जीवन की राह में चलते हुए ही हो गया…
आर्युवेदिक चिकित्सा प्रणाली से सामना…..
उनका था इस बात को दृढ़ता से मानना……
वृक्षों के बिना आप सिर्फ आर्युवेद ही नहीं
सृष्टि की कल्पना भी नहीं कर सकते……..
फिर क्यूं मानव समाज वृक्षों की
अहमियत को नहीं समझता…..
बंद आंखों से ही दरख्तों को काटने में
तन्मयता के साथ जुटता….
शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के इस दौर में
वृक्षों को ऐ मानव समाज मत भुलाना…..
पेड़ पौधों की दुनिया भी वृहत होती है…..
मनुष्य की जरूरत इस से जुड़ी होती है……
पौराणिक कहानी के अनुसार लक्ष्मण जी के
प्राणों की रक्षा के लिए ….हनुमान जी और संजीवनी बूटी
का साथ था…..
संजीवनी बूटी की तलाश में हनुमान जी के हाथों में
पूरा का पूरा पहाड़…..औषधीय गुणों वाली वनस्पतियों के साथ था….
औषधीय पेड़ पौधे,जड़ी बूटियां इस धरा पर अथाह हैं…..
कई तो सामने नज़र आ जाते हैं…. तो कईयों से आज भी
सभ्य समाज अनजान है…..
आर्युवेदाचार्य चरक संहिता में
वनस्पतियों की उपयोगिता के बारे में बोल गये…..
अनेक पेड़ पौधों के गुणों को अपनी किताब के माध्यम से
सारी दुनिया के सामने खोल गये…..
हर्रा, बहेड़ा,हल्दी, आंवला,पीपल,बरगद,अनार और पलाश…..
जाने कितने जाने पहचाने से तो, कितने तो अनजाने से नाम……
आश्चर्य जनक सी लगती है यह बात…….
मनुष्य के जन्म से लेकर अंत तक
पेड़ पौधों और मनुष्य का है लंबा साथ…..
वनस्पतियां मनुष्यों के बिना भी जीवन जी सकती हैं……
पहाड़ों की चोटियों,कंदराओं, घाटियों और वीरानों में
भी फल और फूल सकती हैं…
मनुष्य का जीवन बगैर वनस्पतियों के चल नहीं सकता….
रोजमर्रा की छोटी से छोटी चीज़ों के लिए मनुष्य
पेड़ पौधों पर आश्रित रहता….
वृक्ष अनेक जीवन को आसरा देते हैं…..
अनेक जीवों के इनकी जड़ो, शाखाओं और पत्तियों में
घर बने होते हैं…..
वृक्षों को ध्यान से देखने पर उनके साथ जीवन
खिलखिलाता हुआ सा नज़र आता है…
परिंदों के साथ साथ नन्ही सी चींटी भी भागादौड़ी
करती दिख जाती है…..
जड़ों, पेड़ों की छालों या शाखाओं में अपना घर बनाती
नज़र आती है…….
वृक्षों के ऊपर जीवन व्यवस्थित सा दिखता है……
दरख्तों और जीवों का आपसी सामंजस्य नज़र आता है…..
मनुष्य की फितरत ही स्वार्थ से भरी होती है……
मानव समाज की जरूरतें ही थमती हुई नहीं दिखती है…
पेड़ों को काटता है,कागज बनाता है…..
बड़े गर्व के साथ पर्यावरण बचाओ के नारों से
कोरे कागजों को भरता है…..
सच में तपती धूप में ये वृक्ष अपने से लगते हैं…..
राष्ट्रीय राजमार्ग हों या शहरों,कस्बों,और गांवों के
रास्ते या पगडंडियां……हमेशा विश्वास के साथ
सुकून देते हैं…….
( समस्त चित्र इन्टरनेट से)