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संचार माध्यमों ने हमारे जीवन मे
महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है…..
हर किसी के जीवन को टी वी ,कम्प्यूटर, फोन
समाचार पत्र या किताबों के माध्यम से
दीवाना बना दिया है…..
इस तरह के माध्यम मे तस्वीरें हमेशा
महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं….
कहीं स्थिर तो कहीं चलायमान तस्वीरें
दिखती हैं…..
हर व्यक्ति उन तस्वीरों के माध्यम से
खुद को उस जगह या घटना से सीधा
जुड़ा हुआ सा महसूस करता है…..
यह बात कत्तई गलत नही हो सकती कि
“एक तस्वीर हजारों शब्दों के बराबर” होती है….
बोलती हुई तस्वीरों को वही व्यक्ति खींच सकता है….
जो प्रकृति या विषयवस्तु से मूक भाषा से जुड़ता है…..
ध्यान से देखो अगर तो मूक भाषा मे हजारों शब्दों
को उगलती हुई सी लगती है…
शिशु अवस्था मे बच्चा अपने परिवार जनों की तस्वीरों को
अपनी आँखों के माध्यम से नन्हे से दिमाग मे
बैठा लेता है…
तमाम लोगों की भीड़ मे अपने दिमाग मे बैठे हुए
चित्र के माध्यम से ही
परिजनों को पहचान लेता है…..
मनुष्य के विकास के क्रम मे उनकी संचार यात्रा….
शब्दों से पूर्व इशारों,चिन्हों और चित्रों से शुरू हुई….
वहाँ से चलते चलते आज सेल्फी युग तक पहुँच गयी….
आदि मानवों द्वारा गुफाओं मे बनाये गये शैल चित्र
अपनी मूक भाषा से आज भी अपनी अहमियत बता जाते हैं….
वहीं दूसरी तरफ राजे रजवाड़े,पाण्डुलिपियों मे चित्र बनवाकर
उस समय की घटनाओं को सजीव करते जाते थे…..
चित्रों के माध्यम से समृतियों को स्थाई करने की
कोशिश मे सफल भी हो जाया करते थे….
फोटोग्राफी ने उन्नीसवीं शताब्दी मे अपने पैरों को जमाया…
तब से आज तक हमेशा प्रगति की तरफ अपने कदमों को बढ़ाया…
बिना तस्वीरों के सब कुछ नीरस सा लगता है….
समाचार ,लेख ,कहानी ,कविता बिना तस्वीरों के
कहाँ सजता और सँवरता है….
बात कुछ भी हो ,लेकिन तस्वीरों के माध्यम से
हम विश्व के कोने कोने से जुड़ गये…..
इतनी आसान नही होती ये कला इसके लिये….
व्यक्ति अपने हाथों के साथ-साथ कैमरे से पांव को भी जोड़ता है…..
क्योंकि बिना भागादौड़ी के बोलता हुआ चित्र कहाँ मिलता है…..
सोचो तो कितनी आश्चर्यजनक सी चीज तस्वीर होती है…..
जो मूक भाषा मे ही फोटोग्राफरों को
नतमस्तक करती हुई दिखती है…
(समस्त चित्र internet के द्वारा )