आ गया होली का त्यौहार भी मन मे उत्साह भरते हुये , कोशिश करता है कि, दबे पाँव आये..
लेकिन ! ऐसा हो नही पाता ….
आने से पहले ही, गुझिया की खुशबू और गुलाल के रंग, चारो तरफ बिखरे हुये से महसूस होते हैं …
होली की ढेर सारी शुभकामनायें ” सभी का जीवन दुख से परे हो ,जीवन मे खुशियों के ढेर सारे रंग भरे हो”
पार्क मे होली खेलते हुये छोटे-छोटे बच्चो को देख रही थी …कितनी मस्ती से त्यौहार का मजा लिया जा रहा था ….कई दिन पहले से ही पानी का सदुपयोग किया जा रहा था ….मौसम की मनमानी इन बच्चों की ढीठता के सामने बेबस थी …..
होली का तो सिर्फ बहाना है…..
जीवन के रंगों मे
हर किसी को रंग जाना है…क्या बच्चे,क्या बूढ़े ,और क्या जवान
होली की मस्ती मे
सब को डूब जाना है….दिखते नही कहीं अब टेसू के फूल….
हमे तो याद है लेकिन लगता है
लोग गये हैं भूल..दिख गयी बच्चों की टोली….
कैसे कर रही है हँसी और ठिठोली….
बहुत बड़ी चिंता मे हैआज, बाल समाज….किसके पास कैसी पिचकारी है आज….
ये कोयल आज सुबह से, कुछ न बोली….
पता नही आज मुँह क्यूँ न खोली….
कही ऐसा तो नही है कि भा न रही हो
इसे होली की हँसी और ठिठोली….कैसा फूल गया पानी का गुब्बारा देखो….
बोलते हुये ही तो बिखर गया…
“अति सर्वत्र वर्जयेत “वो देखो! क्षण मे ही तो फट गया…
अभिमान ही तो था वो
जो पानी के रूप मे बिखर गया….हवा मे महसूस हो रही है
चारो तरफ मस्ती….
मदिरा के इस दौर मे
ठंडई कहीं नही टिकती….सुनायी पड़ेंगे कुछ नये और
कुछ घिसे पिटे से गाने आज…
हमे तो ये लगता है
फाग का तो रह गया है
अब केवल पुराना इतिहास….वो देखो भागी चली जा रही है वसंत ऋतु भी….
मैने पूछा तो कहती जा रही है…
सोचती हूँ ,आने दूँ धीरे से अब
ग्रीष्म ऋतु को भी आप सभी के पास …चारो तरफ तरह तरह के व्यंजन दिखते…..
अब ज्यादा क्या सोचना खा ही लो….
जीभ को भी तो तरह-तरह के रंग दिखते….मन ने बड़ी जोर से दी है आवाज….
भाग कर ले आओ गुलाल आज…
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बहुत खूब. रंग भरी होली की शुभकामनाएँ.
धन्यवाद 😊