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ए धवल हिमालय! दिखते हो
भव्यता की प्रतिमूर्ति ….
तुम्हे देखकर हमेशा यह संदेह होता है कि
आकाश को छूने के रखते हो मजबूत इरादे ….
श्वेत,शांत और स्निग्ध से दिखाई दे रहे हो …..
सूर्य की रोशनी मे अपनी चमक और दमक
आत्मविश्वास के साथ दिखा रहे हो …..
चाँदनी सी धवलता बिखरी हुई है ….
नीले आकाश के बीच मे तुम्हारी सुंदरता
छिटकी हुई है …..
बादलों का आँचल लहराकर आखिर कहाँ
जाने का इरादा है …..
कभी-कभी तो ऐसा भी लगता है कि आकाश की
ऊँचाईयों को छोड़कर सिर झुकाने का इरादा है ….
तुम्हारी सौम्यता ,तुम्हारी शांति मन को
बड़ा भाती है …..
तुम्हारी दार्शनिकता दिल को हमेशा लुभाती है …..
अपने पास मे रखते हो हमेशा रुई से सफेद
बादलों का जमावड़ा …..
कभी-कभी तो ऐसा लगता है इन बादलों ने
तुम्हारी धवलता से ही धवल रंग को चुपके से चुरा लिया ….
गुफ़ायें तुम्हारी तप और साधना का केंद्र हैं ….
सुना है अभी भी वहाँ तपस्वी साधना मे मग्न हैं ….
लाखों नही करोड़ों साल पुराना तुम्हारा अस्तित्व है
तुम्हारी सुंदरता अद्भुत है …..
तस्वीरों मे भी तुम सजीव दिखते हो ….
केवल तस्वीरों के माध्यम से भी लोगों को लुभाते हो …..
न जाने कितनी तरह की अमूल्य औषधियों
और जीव जन्तुओं को अपनी गोद मे खिलाते हो ….
जिसे देख कर जनमानस के चेहरों को
आश्चर्य के भाव से सजाते हो …..
तुमको छूकर आती हुई सर्द हवायें भी
उतनी ही पवित्र होती हैं ….
जितनी तुम्हारे पास बैठकर निःशब्द
तुम्हें देखने से भावों की अभिव्यक्ति होती है ….
कितनी पवित्र और शीतल नदियों का तुम उद्गम हो ….
आश्चर्य होता है यह जानकर कि तुमसे निकलने वाली
नदियों का अस्तित्व तुम्हारी शिखाओं से भी पुराना है ….
दिखते हैं कहीं ,कभी-कभी टूटकर बिखरते हुए हिमखंड
लगते हैं अहम् के मारे , दिखते हैं बेचारे…..
पता नही कितने किस्से और कहानियों को अपने अंदर
समेटे हुए हो …..
अबूझी पहेली जैसे अपने आप को लपेटे हुए हो …..
कुछ भी हो ,तुम रहोगे हमेशा ही प्रेरणा के स्रोत …..
तुम्हे अटल खड़ा देखकर लोगों के अंदर भरता है
उमंग, उत्साह और जोश …..
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( समस्त चित्र internet के द्वारा )