(चित्र इन्टरनेट से)
शिक्षा और स्वास्थ्य हमेशा से ही
परिवार और समाज के लिए जरूरी रहा है……
शिक्षित और स्वस्थ समाज ही
स्वस्थ विचार धारा के साथ आगे बढ़ता है….
हर व्यक्ति इस बात की गहराई को
गंभीरता से समझता है…..
प्राचीनकाल में गुरुकुल परंपरा के अनुसार
शिक्षा ग्रहण की जाती थी……
बच्चों को शिक्षक और, शिक्षा की अहमियत के साथ- साथ
अनाज की अहमियत भी समझ में आती थी…..
धीरे-धीरे समाज आगे बढ़ गया…..
इस तरह की परंपराओं के दायरे से बाहर निकल गया….
(चित्र टाइम्स आफ इंडिया से)
आज के समय में एकल परिवार के दायरे में
सिमटे हुए बच्चों के जीवन में भी
स्कूल बहुत महत्त्व रखता है…..
बच्चों का सामाजिक दायरा,तमाम तरह के
इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के मोहजाल से, अलग हटकर
स्कूल परिसर में बनता है…..
(चित्र इन्टरनेट से)
चाहे भूतकाल की बात हो, या वर्तमान काल की
स्कूल और शिक्षक बच्चों के व्यक्तित्व के विकास में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं……
नन्हे बच्चे के डगमगाते कदम स्कूल परिसर में…..
न जाने कितनी बार
धूल मिट्टी में गिराकर फिर उठाकर…..
(चित्र इन्टरनेट से)
बच्चे के आत्मविश्वास को बढ़ाने
का काम करते जाते हैं…..
स्कूल परिसर में पहली बार प्रवेश किया छोटा बच्चा…..
किताबी ज्ञान,व्यहवारिक ज्ञान और सामाजिक ज्ञान से
पूरी तरह से अनजान रहता है…..
धीरे-धीरे उसकी,उसके खुद के नाम के साथ
स्कूल में पहचान बनती है……
स्कूल के साथ ही वो सामाजिक ज्ञान, व्यवहारिक ज्ञान और
किताबी ज्ञान को अपनाता है…….
अब आती है,परिक्षा की बारी…..
शिक्षक और परिवार के अनुसार
पूरे साल करनी होती है, तैयारी……
परिक्षा की तैयारी का तरीका हर किसी का
जुदा होता है……
कोई सिर्फ किताबों में सिर झुका कर जुटा…..
तो कोई परिक्षा के समय में ज्यादा मेहनत
के विचारों से दूर हटा……
सोच हर किसी की जुदा होती है…..
कुछ भी हो नंबरों से ज्यादा महत्वपूर्ण……
हमेशा बच्चे का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य
होता है……
इस विचार पर भी समाज में बाद विवाद
चलता रहता है…….
(चित्र इन्टरनेट से)
फिर होती है नयी कक्षा में जाने की तैयारी……
छूट जाती है पीछे,पुरानी किताबें और बातें सारी…..
नयी किताबों और कापियों की सोंधी सी महक
बच्चों को बड़ा भाती है…..
नयी युनिफॉर्म,नये बैग के अंदर
किताबों कापियों के साथ
पेंसिल और रबर इठलाती है…….
नयी कक्षा और तरह-तरह के क्रियाकलाप बच्चों को
आगे बढ़ने की बात बतलाते हैं…..
नन्हे कदम सामाजिक जिम्मेदारी को निभाने के लिए…..
किताबी और व्यवहारिक ज्ञान के साथ…..
उमंग और उत्साह को साथ लेकर, जीवन की समरभूमि में
धीरे-धीरे आगे बढ़ते दिख जाते हैं…….