(चित्र इन्टरनेट से)
प्रभात की अरुणिमा के साथ……
होती है, नये दिन की शुरुआत……
मुख्य द्वार पर आती है, हर रोज…
समाचार पत्र के जोर से, रखे जाने की आवाज…..
अखबार में छपी हुई खबरों के साथ….
होता है,दिमाग में तरह-तरह के विचारों का वास…..
मुख्यपृष्ठ से हुई समाचारों की शुरुआत
अंतपृष्ठ तक पहुंचा देती है……
बस इसी कारण, सारे के सारे अखबार पर
नज़रों को फिरा देती है……
(चित्र इन्टरनेट से)
तरह-तरह के विचारों और भावों के साथ…..
हर किसी के माथे पर होती हैं सलवटें…..
तो कभी हैरान-परेशान…..
तो कभी चेहरे को मुस्कान से सजा देती हैं…
अखबार में समाचार व्यक्ति की अपनी सोच के
अनुरूप नही होते…..
क्यूंकि देश विदेश की खबरों का होता है साथ…..
राजनीति उठा-पटक, उपलब्धियां, वैज्ञानिक खोज
ज्योतिष विज्ञान, कहीं आपसी तकरार तो कहीं
छपी होती है, कोई वारदात….
इंसानी फितरत की अलग-अलग तस्वीर ……
समाचार पत्रों के माध्यम से
सामान्य जनमानस तक खिंची दिखती है……..
हर पृष्ठ पर अलग-अलग तरह की खबरों का
जाल बिछा होता है……
अलग अलग पेज अलग तरह के समाचारों के लिए
आरक्षित होता है……
कहीं उत्सुकता के साथ खबरों को पढ़ना होता है….
कहीं अनमने भाव से खबरों को देखना होता है…..
किसी खबर को देखते ही तेजी से पन्नों को
पलटना होता है…..
लेकिन सच में अखबार पढ़ने का नशा भी कमाल
का होता है….
(चित्र इन्टरनेट से)
छोटे कस्बे हों,शहर हों,या हों महानगर…..
दैनिक यात्रियों की बात हो,या हो चाय की गुमटी
का साथ….
बातचीत के साथ अखबार में छपी हुई खबरों
पर दिनभर होती सुनाई पड़ती है, परिचर्चा या बाद-विवाद…..
विज्ञापन और अखबारों की आजकल ज्यादा
ही दोस्ती निभने लगी है…..
व्यापार को बढ़ाने के उद्देश्य से समाचार पत्रों में
पन्नों की संख्या बढ़ने लगी है….
विज्ञापनों की संख्या के आधार पर
प्रतिद्वंदिता की दुनिया में अखबारों की
धाक जमने लगी है…..
(चित्र दैनिक जागरण से)
तरह-तरह के आकर्षक विज्ञापनों के जरिए
अखबारों की दुनिया सजने लगी है….
व्यक्ति की मानसिकता को समझते बूझते हुए
विज्ञापन बनाये जाते हैं…..
कभी आकर्षक चेहरे, कभी आकर्षित करने
वाले उत्पाद जनमानस को लुभाते हैं……
स्मित, मुस्कान, खिलखिलाहट हर कोई खोजता है…..
संचार माध्यमों में भी इनका पता ठिकाना…..
यही सब देखते देखते एक विज्ञापन पर
नज़र ठिठक गयी…..
(चित्र दैनिक जागरण से)
खिलखिलाते हुए बच्चों को देखकर…..
मेरे चेहरे पर भी मुस्कान सज गयी….
निश्छल, उन्मुक्त मासूम, चेहरे किसी और दुनिया
की बात कहते लग रहे थे…..
बिखरे हुए बाल, मस्तमौला सा अंदाज…..
किसी बात का नही कोई मलाल……
बच्चों के लिए स्वास्थय और शिक्षा सबसे बड़ा सवाल…..
जैसी बातें कहते हुए लग रहे थे……
शिक्षा की मूलभूत आवश्यकता और स्वास्थ्य ही
सबसे बड़ी समस्या है……
(चित्र इन्टरनेट से)
इसी मौलिक जरूरत से गांवों और कस्बों का
बचपन तरसता है……
बच्चों की खिलखिलाहट यही कहती नज़र आती है……
हमारी मुस्कान और आत्मविश्वास को
शिक्षा के द्वारा बढ़ाने की पहले बात करो……
समाज और देश के विकास में नन्हे बच्चों
की असीमित ऊर्जा के साथ आगे बढ़ते चलो…..
(चित्र इन्टरनेट से)