July 6, 2017
क्या आपने कभी इस बात पर गौर फरमाया है?
आकार कितने महत्वपूर्ण होते हैं।
हमेशा सोचने पर मजबूर करते हैं।
गोल आकृति हमेशा अपनी तरफ ध्यान “खींचती” है ।
“पृथ्वी”हो “चंदा”हो या “सूरज”सभी की आकृति
सोचने पर मजबूर करती है I
कई तरह के फल, पहिये, नट और बोल्ट
“गोल आकार” के ही होते है।
गोल आकृति के “शून्य” से हम अनजान नही
“संख्या” के दाँयी तरफ आने पर अपने प्रभाव
को दिखाता है।
हर संख्या को एक नयी “पहचान” दे जाता है।
हमारे आस पास दिखने वाली “सजीव” व “निर्जीव” चीजें
किसी न किसी आकार मे “ढली” होती है ।
पता नही ये आकृतियाँ कैसे उपजी”रहती हैं।
समझ मे नही आती मुझे छोटी सी एक बात।
“प्रकृति” कैसे आकार मे चीजों को ढ़ालती होगी।
कैसे सजीव चीजों के आकार के “साँचे” को मापती होगी।
होता होगा क्या कोई “पैमाना” प्रकृति के भी पास?
मुझे तो चारो तरफ गोल आकार ही सबसे ज्यादा दिखता है ।
सबसे ज्यादा यही आँखों को “जँचता” है।
गोल आकृति का सबसे सार्थक रूप “पहिया” होता है।
बिना “पहिये” के जीवन का सफर भी रुका हुआ सा दिखता है।
पहिये के बगैर किसी सफर की “कल्पना” करके तो देखो।
दिमाग “आश्चर्य” मे डूब जाता है।
बहता हुआ पानी “निराकार” होता है।
लेकिन किसी बर्तन मे डालने पर उसके
आकार मे अपने आप को “ढाल” लेता है।
“सुर्दशन चक्र” का आकार भी गोल ही क्यूँ होता है?
क्या “चक्रधारी”को भी गोल आकार ही जँचता है?
होते हैं इस “ब्रम्हांड”मे कई प्रकार के आकार।
हर आकार के लिए पनपते हैं अलग अलग विचार ।
हर आकार की अपनी “उपयोगिता” होती है।
मानो या न मानो बिना आकार के हर एक चीज
अपनी “पहचान”खोती है ।