( चित्र दैनिक जागरण के द्वारा )
कड़ाके की ठंड और शीतलहर
परिंदों के ऊपर भी अपना असर
डालती हुयी दिखती है…..
चिड़िया घर की तस्वीर ठंड के कारण
परिंदों की हालत बयाँ करती
हुई दिखती है…..
कहीं कोई पंक्षी धूप की चाह मे
आराम की मुद्रा मे
आलस मे पड़ा हुआ नजर आता…..
तो कोई अपने पंखों को फुलाकर
रोज की तुलना मे ज़रा ज्यादा ही
गोल मटोल नज़र आता…..
दूसरी तरफ कोई आलस को छोड़कर…..
अपने पंखों को फैलाकर
दूर आकाश की सैर करता नज़र आता…..
तस्वीर मे दिखते हुये प्रवासी पंक्षी आराम तलबी
के अंदाज मे दिखाई दिये……
इन्हें सूर्य की किरणों के साथ
शांत भाव से बैठना भाता है…….
ऐसा लगा मानो बोल रहे हो
भूल गये हैं खाना पीना…..
भूल गये हैं पंखों को फड़फड़ाना…..
अब तो बंद करो सर्दी तुम सताना…..
इन पंक्षियों का आलस देखकर…..
दूर से ही आकाश मे तैरता हुआ बाज
मुस्कुराता है…..
आकाश की ऊँचाईयों को छोड़कर…..
पंक्षियों की तरफ का रुख करता हुआ
नज़र आता है…..
बाज का जोश देखकर इन प्रवासी पंक्षियों के
अंदर भी जोश दिखता है……
भीड़ मे से एकाद् पंक्षी अपने पंखों को फैलाकर
पेड़ों की डाल से तनिक सा ऊपर उठते हैं…..
उसका ये उत्साह कुछ पंक्षियों को तो
सोते से जगाता है……
लेकिन कुछ के चेहरे पर भाव शून्यता
ही नज़र आती है……
बिल्कुल इंसानों की दुनिया सी दुनिया
नज़र आती है…..
जहाँ हर व्यक्ति अपने-अपने स्वभाव के
मुताबिक व्यहवार दिखाता है…..
कोई किसी के प्रोत्साहित करने से जोश मे भर जाता…..
वहीं दूसरी तरफ कोई “ढाक के तीन पात”वाली कहावत
को चरितार्थ करता हुआ नज़र आता……