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सफर अनजाना सा

by 2974shikhat September 26, 2017
by 2974shikhat September 26, 2017

​साहिल ही तो नाम था उसका ,अब तो उसकी रोज़ की आदत मे आ गया था ,पुलिया पर बैठकर अपने दिमाग को हल्का करता था ।

कस्बे की जिंदगी गुजारने के बाद, बड़े शहर के रास्तों पर भागना सीखना था उसे,क्योंकि बड़े शहर की चमक बड़ा भा रही थी उसे।

सारी सुख सुविधायें होते हुए भी, कस्बे के ज़रा से अव्यवस्थित से जीवन के बारे मे सोचकर उलझन सी होती थी उसे ।एक बार फिर से लम्बी लम्बी साँसें खींच कर अपने संकल्प को याद कर लेता था ।कुछ भी हो इस साल तो आई ए एस की तैयारी पूरे जोश के साथ  करूँगा।

खुद से बातें कर के अपने चेहरे को मुस्कान से सजा लेता था,वैसे भी उसे शहरी तौर तरीक़े से जिंदगी जीने का मज़ा लेना था,दोस्तों का दायरा भी अच्छा खासा बन गया था।
रोज देखता था वो पुलिया पर बैठकर रेलवे लाइन और सड़क को समनान्तर भागते हुए ।
कितनी रहस्यमयी दुनिया होती है न रास्तों की, कभी-कभी खुद से सवाल भी करता था।

कितनी तरह की गाड़ियाँ, अलग अलग शहरों को जोड़ने वाली रेलवे लाइन इन्हीं रास्तों से मुसाफिरों को लेकर आगे बढ़ जाती हैं।हर मुसाफिर के रास्ते अलग ,फ़साने अलग ,जिंदगी को  जीने का अंदाज अलग।

कल की ही तो बात थी, घर के बगल मे रहने वाले गुरमीत ने बोला, मत बैठा कर यार पुलिया पर
कितनी सारी दुर्घटनाओं की गवाह है, वो पुलिया ।इतने बड़े जयपुर शहर मे तुझे और कोई जगह नही मिलती खुद से बातें करने के लिए ।हम दोस्तों के साथ समय बिताने के  बाद भी तुझे वहाँ पर बैठना इतना क्यूँ भाता है ।तुझे पता नही लोगों के अनुसार बलायें घूमती हैं वहाँ पर…

गुरमीत की बातों को हँसी मे उड़ा दिया साहिल ने, क्या बात करता है यार!! राजपूतों का छोरा हूँ..
कोई बला भी मेरे पास आने से पहले सौ बार सोचेगी, और अगर आ भी गयी तो उसे भी पटा लूँगा आखिर मेरा भी तो स्तर दोस्तों के बीच मे बढ़ जायेगा ।लड़कियों के अलावा बलाओं से भी बनती है मेरी कहकर बड़ी जोर से ठहाका लगाते हुए उठ खड़ा हुआ…

साहिल के दिमाग मे गुरमीत की बात किसी न किसी कोने मे घर कर गयी। उस दिन के बाद से खाना खाने के बाद टहलते हुए ,देर रात को पुलिया पर बैठने से पहले उसका मन सशंकित हो उठा ।अपने मन को समझाया उसने ये सारी बातें मन के वहम से आती हैं ।ये गुरमीत भी बड़ा अजीब लड़का है, पूरा दिन लड़कियों के चक्कर मे पड़ा रहता है, बाकी का समय बाबाओं के पास ,मेरे दिमाग मे वहम अलग डाल गया।

कितनी बार प्यार से समझाया उसे लड़कियों के चक्कर मे इतना मत पड़ा कर, नयी लड़की दिखते ही पुरानी तुझे चुड़ैल दिखने लगती है,इसीलिये तू ऐसी बातें करता है ।अब मेरा ध्यान मेरे काम पर लगने दे घर से लड़ाई करके बाहर निकला हूँ अगला ठिकाना दिल्ली बनाना है मुझे, हमेशा यही बोल कर गुरमीत को टालता था साहिल।

एक बार फिर से अपना ध्यान समनान्तर चलती हुई रेलवे लाइन और सड़क पर केंद्रित कर दिया। आज तो उसे सिग्नल की लाल बत्ती भी रहस्यमयी लग रही थी, उठ खड़ा हुआ घर की तरफ चलने के लिए …घर पहुँचा तो फोन की घंटी लगातार बज रही थी जल्दी से फोन उठाया दूसरी तरफ ताऊ जी थे “क्या हुआ बरखुरदार कहाँ मटरगश्ती हो रही है”इसके पहले भी 7-8बार फोन कर चुका हूँ…

खाना खाने के बाद टहलते हुए ज़रा दूर तक निकल गया था, अभी अभी वापस आया हूँ…ताऊजी की आवाज ज़रा सी कोमल होते ही अपनी दिनचर्या की चुनिंदा बातें बता कर सोने के इरादे से अपने पलंग पर लेटते ही गहरी नींद मे सो गया।

सुबह उठ कर तैयार होते समय यही सोच रहा था ये ताऊजी भी कौन सी बला से कम से कम हैं।इनका चेहरा तो हमेशा आँखों के सामने घूमता रहता है लंबी-लंबी मूँछ बुलंद आवाज लंबी चौड़ी कद काठी ।अपने घर के लोगों के बारे मे सोचता हुआ पैदल ही बस पकड़ने के लिए 
निकल पड़ा,अपने खुद के खर्चे उठाने के लिए ट्यूशन के अलावा शहर से थोड़ी दूर एक कंपनी मे काम भी करता था वो।

तभी अचानक से बस आकर रुकी रोज के शोरगुल जैसा कुछ भी नही सुनायी दिया उसे बस के रुकने से पहले, नही तो रोज यही बस कितना शोर मचाती हुई आती है । हो सकता है अपनी ही धुन मे रह गया हो वो,सोचता हुआ अपने शरीर के साथ-साथ मन को सँभालता हुआ बस मे चढ़ गया।

थोड़ी दूर चलने के बाद ही बड़ी जोर से आवाज आयी हिचकोले खाते हुए बस की गति को विराम लग गया पता चला कि टायर पंचर के साथ-साथ और भी कुछ खराबी आ गयी है ,बस मे ..सोचने लगा साहिल “गयी भैंस पानी मे”आज फिर से ट्यूशन वाले बच्चों की छुट्टी करनी पड़ेगी ।रोज का यही नाटक रहा तो ट्यूशन वाले बच्चे भी अपनी राह हो लेंगे..

जब भी इस तरह से मेहनत करते हुए परेशानी आती थी तो उसे घर मे सबका गुस्सा याद आता था।इतनी सारी जमीन जायदाद के इकलौते वारिस होते हुए भी बड़े शहर जाना है ,इनको कलेक्टर बनना है जाओ लेकिन खबरदारररर! ! अपना हालचाल फोन पर बताना लेकिन एक रुपया की भी उम्मीद मत रखना घर से ।

अपने दम पर कलेक्टर बनो, न बन पाना तो वापस आ जाना सब कुछ तुम्हारा ही है, बार बार ताऊ जी की गुस्से वाली आवाज कान मे गूँजा करती थी साहिल के..

खुद के माँ बाप से ज्यादा अधिकार ताऊ जी का था उसपर,बचपन से उनके प्यार दुलार और गुस्से को झेला था ।ताऊजी की तीनों बेटियाँ होने के कारण बेटे की कमी हमेशा साहिल से ही पूरी किया था ..

थोड़ी दूर तक पैदल ही चलने के इरादे से उठ खड़ा हुआ वो,अब तो रोज का ही यही नाटक हो गया है।अचानक से पलटकर उसने देखा आज तो अकेली बैठी हुयी है वो सहेलियाँ नही दिखाई दी दूर तक।शाम का धुन्धलका छाने लगा था थोड़ा सा आगे बढ़ा फिर ठिठकते हुये रुक गया ।

ये जयपुर जैसे शहर भी ज़रा सा शहर से बाहर निकलते ही वीराने हो जाते हैं,आगे बढ़ कर उसने पूछ ही लिया चलेंगी क्या आप भी कुछ दूर तक पैदल, हो सकता है आगे से कोई सवारी मिल जाये क्योंकि थोड़ी ही देर मे अँधेरा हो जायेगा, पता नही बस कब तक सुधरेगी क्योंकि ड्राइवर और कंडक्टर तो आराम से बीड़ी सुलगा रहे हैं।

हाँ क्यों नही ,वैसे भी मै सोच ही रही थी कि, मै क्या करूँ इतना बोलकर साथ मे चल दी ।लेकिन शब्द बड़े कंजूसी से खर्च कर रही थी।साहिल सोचने लगा ये गुरमीत भी सही कहताहै ,कम बोलती हुई लड़की बला और ज्यादा बोलती हुई पागल लगती है।कहीं ये भी तो बला नही सोचते-सोचते हँसी आ गयी उसको।

वैसे भी पुलिया पर बैठने के कुछ दिनो बाद से ही तो दिखने लगी ये भी आते जाते।पुलिया की बला यहाँ तक पीछा करेगी मेरा ,बड़ी जोर से हँस पड़ा वो।सहिल को ऐसे हँसते हुए देखकर लड़की के चेहरे पर बड़े अजीब से भाव आये।

अरे आप मत परेशान होइये ,मुझे तो बस अपने दोस्तों की बातें याद आ गयी थी।तुरंत ही गंभीर हो गया पूछूं कि न पूछूं जीवन के सफर मे भी चलेगी क्या मेरे साथ ।कई बार पहले भी तो सोचा था पूछने का अचानक से ताऊ जी का गुस्से वाला चेहरा उसकी आँखों के सामने घूमने लगा..

शहर जा रहे कलेक्टर बनने शहरी छोरी के प्यार व्यार के चक्कर मे मत पड़ जाना बचपन की सगाई हो चुकी है तुम्हारी ,हमारी मूँछ नीची नही करना …

ये ताऊजी भी क्या आफत है, उनका चेहरा सामने आते ही कितनी भी खूबसूरत लड़की हो ,अचानक से गायब हो जाती है आँखों के सामने से ,अपनी गर्दन को झटक कर सोचने लगा फिर कभी पूछ लूँगा ..

लम्बी लम्बी साँसें भरकर पीछे से आती हुई बस मे चढ़कर आगे के जीवन के सफर के बारे मे सोचने लगा.. ..

(    समस्त चित्र internet के द्वारा ) 

…

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gaytrijoshi September 26, 2017 - 1:24 pm

Nice…

Mrs. Vachaal September 26, 2017 - 7:57 am

Thanks 😊

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कहानी का दूसरा पहलू मेरी दुनिया में आपका स्वागत है

मेरे विचार, और कल्पनाएं… जीवन की छोटी-छोटी बातें या चीजें, जिनमे सामान्यतौर पर कुछ तो लिखने के लिये छुपा रहता है… एक लेखक की नज़र से देखो तब नज़र आता है … उस समय हमारी कलम बोलती है… कोरे कागज पर सरपट दौड़ती है.. कभी प्रकृति, कभी सकारात्मकता, कभी प्रार्थना तो कभी यात्रा… कहीं बातें करते हुये रसोई के सामान, कहीं सुदूर स्थित दर्शनीय स्थान…

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