ये रास्ते भी बड़े अजीब से होते हैं….
कहीं सजे सँवरे, तो कहीं बेतरतीब
से होते हैं…..
सजना सँवरना हर किसी को भाता है…
पेड़ पौधों के साथ सजा हुआ रास्ता भी
मुस्कुराता हुआ सा नज़र आता है……
इन रास्तों की सजावट आँखों को भाती है….
दिन हो या रात ,या हो भीड़ भाड़ का साथ….
सजे सँवरे रास्ते मन के साथ-साथ आँखों को
सुकून दे जाते हैं…..
रास्तों पर चलते-चलते अचानक से
आता है गाड़ियों का सैलाब…..
रास्ते इसी सैलाब के साथ अलग अलग आकार के
पहियों के साथ चलते नज़र आते हैं….
रास्तों की सजावट मुख्य रूप से वनस्पतियों
पर निर्भर करती है…..
ये वनस्पतियाँ भी कितना कष्ट सहती हैं….
गाड़ियों के उगले हुए धुएँ को चुपचाप पीती हैं….
रास्तों के किनारे पर दिखती है….
तरह तरह की वनस्पति…..
ऊँचाई, आकार और प्रकार के आधार पर
रखती हैं अपनी अलग अलग प्रवृत्ति….
दीवारों पर चढ़ी हुयी बेलों को
हमेशा सहारे के साथ फैलना होता है…..
कहीं ऊपर चढ़ना तो कहीं नीचे उतरना होता है…..
इन्हीं बेलों के साथ दरवाजों और बाड़ों को सजाना होता है…..
आगे बढ़ते ही सजावटी पौधों के झुण्ड दिखे…..
ऐसा लग रहा था कि छोटे बच्चों के समूह
लड़ाई झगड़े के बाद,मानमनौव्वल के इरादे
से रास्तों पर रुके…..
ज़रा सा मुँह को फुलाये गुस्से मे लगे…..
तभी मुस्कुराते हुये फूलों के साथ गमलों मे सजे पौधे दिखे…..
दूर से ही अपनी पत्तियों को हिला रहे थे…..
ऐसा लग रहा था बातें करने के लिए हमे
अपने पास बुला रहे थे…..
रास्तों के किनारों पर खड़े बड़े बड़े पेड़
हमेशा अपना बड़प्पन दिखाते हुए दिखते हैं…..
अपनी कटी फटी,छोटी बड़ी पत्तियों के सहारे ही
हमेशा छाया के साथ-साथ शीतलता का एहसास कराते हैं…..
वनस्पतियों के साथ रास्तों का सौंदर्य कई गुना बढ़ जाता है…..
ऐसा लगता है मानो इंसानों की दुनिया हो
जहाँ सजने सँवरने के बाद इंसान आत्मविश्वास से भरा हुआ
खुश नज़र आता है…..
चलते हुए रास्ते कहीं कहीं पर बिना वनस्पतियों के भी
नज़र आते हैं…..
ध्यान से देखने पर तुलनात्मक रूप से उजड़े से नज़र आते हैं…..
जाने अनजाने मे ही एकबार फिर से पर्यावरण मे वनस्पतियों
की अहमियत बता जाते हैं…..