शहरी जीवन मे चमक दमक….
चारो तरफ बढ़ गयी……
दिन के उजाले की बात करो, या रात के अंधेरे की…..
दोनो ही समय,सूर्य और चंद्रमा की रोशनी…..
माॅल के भीतर जा कर,ज़रा सा पीछे रह गयी…..
कृत्रिम रोशनी और, चमक दमक मे….
सजे संवरे चेहरे भी,जीवंतता के साथ दिखते हैं…..
जब चमचमाती हुई,इमारतों के भीतर…..
चहल पहल के साथ मिलते हैं…..
महानगरीय संस्कृति के साथ, ज़रा सा छोटे शहरों मे भी….
माॅल जन जन की जरूरत का अंग हो चले….
भीड़ के साथ माॅल के संग हो चले….
एक ही इमारत के नीचे जब
दैनिक जरूरतों की चीजों के अलावा….
तरह तरह के देशी और विदेशी सामान…
आकर्षक और व्यवस्थित ढंग से सजे हुये
नज़र आते हैं….
तब, कभी समान को खरीदने के उद्देश्य से…..
या सिर्फ उस चमक दमक को, देखने के उद्देश्य से लोग…..
माॅल के भीतर,घूमते फिरते नज़र आते हैं…..
मेरी भी उत्सुकता, कभी कभी मुझे
माॅल की तरफ, खींच ले जाती है……
विशेषतौर पर तब,जब मौसम की विषमता…..
आकाश के तले,घूमने मे आड़े आती है…..
बहुत आकर्षक सी दुनिया
माॅल की दिखती है…..
हर तरफ चमक और रोशनी
बिखरी होती है…..
गर्दन को ऊपर उठा कर देखो तो
रोशनी मे डूबी हुई “अर्श”……
पाँव के नीच चमकती हुई “फर्श”……
दिख जाती है…..
बच्चों की चंचलता,युवाओं का उत्साह…….
हर तरफ दिखता,जरा सा मस्तमौला सा अंदाज…….
क्या खरीदूं ?क्या छोड़ूं ?
इस भाव के साथ, उलझे हुए चेहरे दिखते…..
कहीं दिखती ,पारंपरिक खाने की झलक……
तो कहीं दिखती ,फास्ट फूड को खाने की ललक…..
हर उम्र की पसंद के हिसाब से
माॅल की दुनिया,सजी होती है……
उपभोक्ताओं की कमजोर से कमजोर नस को भी…….
चमचमाते हुये बाजार की,इस दुनिया ने अच्छे से समझी होती है….
माॅल की भव्य इमारत और,चमक दमक की दुनिया मे भी…..
सुकून की तलाश मे लोग……
काफी की चुस्कियाँ लेते हुये……
कभी विचार विमर्श करते हुये……
तो कभी शांत मुद्रा मे बैठे हुये
नज़र आते हैं…..
ये माॅल भी निश्चित तौर पर…..
व्यक्ति को कुछ पल के लिये ही
चमक दमक की एक अलग ही दुनिया की
सैर कराते नज़र आते हैं…….
(सभी चित्र internet से )