सृष्टि के साथ जीवन हमेशा चलता रहता है……
ध्यान से अगर विचारो तो मानव जीवन
सृष्टिकर्ता ब्रह्मा की अद्भुत कृति लगता है…..
जीवन के साथ व्यक्ति का शरीर दिमाग के
दिये हुए निर्देशों के अनुसार काम करता रहता है…..
दिमाग का काम भी अनवरत चलता रहता है……
ये दिमाग भी विचारों के जाल बुनता रहता है……
बुना हुआ विचारों का जाल देखते ही देखते …….
रंग बिरंगे विचारों के धागों से सजा हुआ नज़र आता है…….
रंग बिरंगे धागों को देखकर ……
शुरू हो गया विचारों का खेल…….
कराते हैं इन धागों से कविता
और कहानी का मेल…….
ये धागे लोच के गुणों को अपनाये हुए थे….
कभी उछल कर बंदरों के समान करतब दिखा रहे थे…….
तो कभी मछलियों के जैसे जलस्रोत में
आराम से तैरते जा रहे थे…..
मानव जीवन धरा पर जन्म लेने से पहले ही
सोच विचार के गुण से सजता है…..
नन्हा शिशु भी शून्य में देखते हुए
सोच विचार करता हुआ सा लगता है…..
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी मां की कोख में पल रहा बच्चा…..
मां के विचारों को सुन और समझ सकता है…..
हमारी वैदिक संस्कृति हो या,महाभारत काल की बात…..
अभिमन्यु के चक्रव्यूह तोड़ने के कार्य ने, सिद्ध की है वैज्ञानिकों की बात…..
विचारों और वाणी के चक्रव्यूह में ही, मानव जीवन
घूमता फिरता है…
कभी सकारात्मक तो कभी नकारात्मक विचारों के द्वारा
खुद को नापता और तौलता दिखता है….
जीवन की राह कर्मों और विचारों के द्वारा सजती
और संवरती है…..
विचारों की श्रृंखला जीवनपर्यंत चलती रहती है…..
प्रबुद्ध जनों से सुनी है हमेशा से यह बात….
कहते हैं विचार, वाणी और कर्म एक दूसरे से
जुड़े होते हैं……
व्यक्ति के व्यक्तित्व की महत्त्वपूर्ण कड़ी होते हैं…..
दिमाग में आता है फिर एक महत्वपूर्ण सा सवाल…..
सकारात्मक विचार क्या हमेशा सफलता की राह से जुड़े होते है?
दिमाग ने शांत होकर फिर से राह दिखाया…..
समेट कर विचारों को सकारात्मकता के साथ…..
बस लगा ले आत्मबल के साथ ध्यान…..
ऊपर वाला भी आंखें खोलकर सच्चे ईमान को
जांचता और परखता है…..
मेहनत से किये हुए कर्म….
और सच्चाई की तपती हुई राह में, सकारात्मक विचारों के साथ
बढ़े हुए कदम से, व्यक्ति का व्यक्तित्व निखरता है…….
( सभी चित्र इन्टरनेट से)