निज़ामो के शहर हैदराबाद का जिक्र होते ही सबसे पहले दो चीजें सामने आती हैं….
पहली चार मीनार,और दूसरी …मोतियों का शहर होने के कारण मोतियों का दीदार…..
हैदराबादी मोती हीरे जवाहरात के साथ साथ मशहूर है, हैदराबादी ज़ायका भी….
किसी भी शहर की रौनक और जिंदादिली की बात वहां पर लोगों से मिलकर उनसे बातें करने से पता चलती हैं…..
जब बात आती है, हैदराबाद शहर की, तो यहां की भाषा की तो बात ही अलग है…
इसे शहर की उर्दू कहिए या दक्खिनी हिंदी भाषा…..
हैदराबाद शहर के बारे में यहां के लोगों की जिंदादिली को, शायर “खामखां हैदराबादी”ने अपनी शायरी में अपने ही अंदाज में जतलाया है……….
“बुजदिल है वो जो जीते जी मरने से डर गया
एक मईच था जो काम ही कुछ और कर गया
जब मौत आकू मेरे कू करने लगी सलाम
मैं वालेकुम सलाम बोला और मर गया”
इस मीठी जुबान और नफासत पसंद लोग हैदराबाद की शान है…..
हैदराबादी हिंदी सुखद एहसास से भरती है……
हैदराबाद शहर भारत के राज्य तेलंगाना तथा आंध्रप्रदेश की संयुक्त राजधानी है……
दक्कन के पठार पर मूसी नदी के किनारे स्थित है…..
इतिहास के पन्नों के अनुसार, गोलकुंडा का किला राज्य की राजधानी के लिए अपर्याप्त सिद्ध हुआ… और इसीलिए लगभग 1591 में कुतुब शाही वंश में पांचवें मुहम्मद अली कुतुब शाह ने पुराने गोलकुंडा से कुछ मील दूर हैदराबाद नाम का नया नगर बसाया….
प्राचीन दस्तावेजों के अनुसार इसे भाग्यनगर के नाम से भी जाना जाता था….
यह भारत के सर्वाधिक विकसित शहरों में से एक है…..
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी का केन्द्र बनता जा रहा है…..
इस शहर की आधुनिकता की चकाचौंध आश्चर्य चकित करती है…….
दूसरी तरफ पुराने हैदराबाद की गलियों में प्राचीन भारत की झलक दिखती है……
निजामी ठाठ-बाट के इस शहर का मुख्य आकर्षण चार मीनार, हुसैन सागर झील, बिड़ला मंदिर,सालार जंग संग्रहालय, रामोजी फिल्म सिटी आदि है……
हुसैन सागर झील से विभाजित सिकंदराबाद और हैदराबाद जुड़वा शहर है…….हुसैन सागर का निर्माण 1562 में इब्राहिम कुतुब शाह के शासन काल में हुआ था….. और यह एक मानव-निर्मित झील है….
इस झील के बीचों-बीच में महात्मा बुद्ध की एक बहुत बड़ी मूर्ति स्थापित है…..
हैदराबाद घूमने आने वालों के लिए झील की सैर बोट के द्वारा सुखद एहसास से भरती है……
हैदराबाद शहर की पहचान सच मानिए तो चारमीनार से ही होती है…..
चारमीनार की संरचना एक मस्जिद और एक मदरसे के रूप में की गई थी……
इसकी वास्तुकला शैली में भारतीय-इस्लामिक का मिश्रण दिखता है…..
जिसमें कुछ जगहों पर फारसी वास्तुकला भी देखने को मिलती है….
यह एक विशाल व प्रभावशाली संरचना है……
इसकी हर एक दिशा में एक दरवाजा है,जो अलग-अलग बाजारों में खुलता है…..
हर एक मीनार के ऊपरी हिस्से में एक बल्बनुमा गुंबद की डिजाइन है…..
ऐसा लगता है मीनारों ने खुद को ताज से सजाया हो……
इतिहास बताता है कि चारमीनार का निर्माण गोलकुंडा और मछलीपट्टनम के ऐतिहासिक व्यापार मार्ग को जोड़ने के लिए किया गया था……
दूसरी बात ये सामने आती है कि, चारमीनार को प्लेग महामारी के अंत की यागदार के तौर पर मुहम्मद अली कुतुब शाह ने शहर के बीचों बीच बनवाया था…..
सालार जंग संग्रहालय में दुनिया की तमाम कलावस्तुओं, पुस्तकों, पाण्डुलिपियों,व प्राचीन वस्तुओं का विशाल संग्रह है……
इसे विश्व के सबसे बड़े संग्रहालयों में से एक माना जाता है……
कला के प्रति रुचि रखने वालों के लिए यह महत्वपूर्ण और विशेष जगह है…..
हैदराबाद शहर से 75 कि०मी०दूर स्थित गोलकुंडा का किला बाहर से देखने पर खंडहर दिखता है, लेकिन अंदर आते ही बोलता हुआ लगता है…..
सबसे बड़ी बात तो बेशकीमती कोहिनूर हीरे के बारे में बताता है…….
वर्तमान में ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ के राजमुकुट में जड़ा विश्व में सर्वाधिक प्रसिद्ध और कीमती कोहिनूर हीरा गोलकुंडा की खदानों से ही निकला था……
हैदराबाद के निजाम का आभूषण संग्रह उस समय की बात बताता है जब भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था…
सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दी तक हैदराबाद हीरे-जवाहरात के व्यापार का विश्व प्रसिद्ध केंद्र बन गया था….
नवाबी परंपरा की झलक को दिखाता हुआ यह शहर…..शाही हवेलियों और निजामों की संस्कृति के बीच….. हवेलियों और निजामों की संस्कृति को बचाता हुआ आधुनिकता से संघर्ष करता हुआ भी दिखता है….
इन सब चीजों के बीच यहां आये हुए पर्यटक हैदराबादी जायके को लंबे समय तक जुबान पर रखते हैं…
बात चाहे हैदराबादी बिरयानी और पुलीहारा की हो या मिर्च मसाले वाला तेलगू भोजन
मांसाहारी खाना हो या शाकाहारी भोजन बड़े प्यार से परोसा और खिलाया जाता है…….वर्तमान में “साइबराबाद”के नाम से भी पहचाने जाने वाला हैदराबाद शहर शांति के साथ साथ एक अलग ही कशिश के साथ पर्यटकों को अपनी ओर खींचता हुआ सा महसूस होता है……
(सभी चित्र इन्टरनेट से)