पर्यावरण ही जीवन का आधार है….
विश्व पर्यावरण दिवस पर हर किसी का
यही विचार है…..
पर्यावरण दिवस पास आने पर समाज
जाग जाता है…..
पर्यावरण संरक्षण मे लगे लोगों के साथ
जनमानस का सैलाब सा खड़ा नज़र आता है…..
सृष्टि के साथ चारो तरफ सृजन दिखता है…..
अन्य जीवों की तुलना में विचारशीलता का गुण
मनुष्य की मनुष्यता का श्रृंगार होता है….
फिर भी मनुष्य की असीमित चाह ने पर्यावरण को
प्रदूषण की तरफ मोड़ दिया….
पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली तमाम चीजों के साथ
अपने संबंधों को गहराई से जोड़ लिया …..
प्लास्टिक के ज्यादा उपयोग ने समाज में
एक नये विचार को जन्म दिया….
“उपयोग करो और फेंको” की संस्कृति ने
पर्यावरण को विनाश के कगार पर खड़ा किया….
अथाह सागर की गहराइयों को न नाप पाये….
लेकिन प्लास्टिक के कचरे से समुद्रों को भी पाटने में
जुटे नज़र आये…..
लहरों के साथ बहते हुए जीव जंतुओं के साथ
प्लास्टिक भी तैरती नज़र आती है….
आज के समय में सारे विश्व के लिए प्लास्टिक
गले की फांस ही समझ आती है….
धरा का सबसे ज्यादा उपयोग इंसान की जरूरतों के
मद्देनजर, ही हो रहा है ….
बस इसी कारण से प्राकृतिक संसाधनो का
जरूरत से ज्यादा दोहन हो रहा है ……
नदियाँ भी खुद को समेटती नज़र आती है……
आकाश से लेकर धरा तक धुएँ कि चादर बिछ जाती है……
प्राकृतिक जलस्रोत गायब ही हो गये…..
ताल,तलैया कूप और झील बहुमंजिली इमारतों के
नीचे खो गये….
पर्यावरण संतुलन हर हाल मे जरूरी है…
मनुष्य की असीमित इच्छाओं पर अंकुश के बिना
पर्यावरण संतुलन असंभव दिखता है ….
पर्यावरण प्रदूषण के कारण भविष्य में आने वाली परेशानियां
सामने खड़ी नज़र आती है…
एक बार फिर से मनुष्य अपनी विचारशीलता को सामने लाता है….
विश्व पर्यावरण दिवस के माध्यम से ही सोते हुए
समाज को जगाने की मुहिम में खड़ा नज़र आता है….
(सभी चित्र internet के द्वारा )