वर्तमान मे समाज और परिवार मे,आस पड़ोस मे कैंसर से लड़ते भिड़ते, जीतते हारते लोंग सामान्यतौर पर आसानी से दिख जाते हैं
4फरवरी का दिन ,कैंसर जैसी बीमारी को सर्मपित है….
इस दिन को “विश्व कैंसर दिवस”के रूप मे मनाते हैं….
साल 2019 से 2021 तक वर्ल्ड कैंसर डे का स्लोगन…”मै तैयार हूं और मै लड़ूंगा/लड़ूंगी”…
अभी से तीन या चार दशक पहले तक, कैंसर जैसी बीमारी असाध्य मानी जाती थी, और विरली ही सुनाई पड़ती थी….
अस्सी के दशक मे नर्गिस दत्त के कैंसर से हार जाने के सदमे से, उबरते- उबरते सुनील दत्त ने कैंसर को लेकर एक संवेदनशील फिल्म “दर्द का रिश्ता” बनाई….
जिसे अस्सी के दशक मे सराहना भी मिली ,और समाज कैंसर के प्रति ज़रा सा जागरूक भी हुआ….
इस फिल्म का असर लंबे समय तक,कैंसर की भयावहता और परिवार के संघर्ष को देखकर लोगों के, दिलोदिमाग पर छाया रहा…
आजकल कैंसर रोगीयों की संख्या, अचानक से इतनी क्यों बढ़ गई है ?…
यह बात हर किसी को, सोचने विचारने पर मजबूर कर देती है…
महानगरों मे पीड़ितों की संख्या बढ़ी है तो, दूसरी तरफ छोटे शहर और कस्बे भी इससे अनछुए नही रहे….
परिवार और समाज मे कैंसर के अलावा भी,अनेक असाध्य बीमारियों से जूझते लोंग दिख जाते हैं….
लेकिन एक बात काबिलेतारीफ होती है कि, रोगी का खुद से लड़ने का जुझारूपन,जीवन को जीने की ललक,…हारे हुए जीवन की जंग को भी जिता देता है ……
तब कैंसर जैसी बीमारी से संघर्ष करते हुए लोगों के लिए,“योद्धा” प्रेरणा स्रोत बनकर ,समाज के सामने खड़ा नज़र आता है ……
वर्तमान मे मीडिया के द्वारा, बीमारी के समय के अपने संघर्ष के अनुभवों को ,सामने लाने का
एक स्वस्थ प्रचलन शुरू हुआ है….
लोंग बेझिझक सामने आते हैं और दृढ़ता के साथ यह बोलकर, अवसाद ग्रस्त लोगों मे उत्साह की किरण भर जाते हैं …”कैंसर के बाद भी खुशनुमा है जीवन”….
बस जीवन को सकारात्मक नजरिये से ,स्वीकारना जरूरी होता है…
कैंसर का कारण खोजने चलो तो,विज्ञान की भाषा मे यह एक “आॅटो इम्यून डिसआर्डर” है…
हर व्यक्ति के शरीर मे, कैंसर की कोशिकायें मौजूद रहती हैं…
कारण कैंसर होने का! अधिकांश परिस्थितियों मे “अस्वस्थकर जीवन शैली”ही समझ मे आती है….
इसके अलावा पर्यावरण प्रदूषण,…..किसी भी तरह का नशा, और कुछ परिस्थितियों मे यह आनुवांशिक भी होता है….
वर्तमान मे आधुनिक दिखने की चाह !!
कार्यक्षेत्र ! या किसी भी तरह के समारोह मे, होने वाला दिखावा !!
धूम्रपान और एल्कोहल को, अपनी जीवन शैली मे शामिल करने का सामाजिक दबाव !! सबसे बड़ा कैंसर का कारण ,बन कर सामने आया है…
तम्बाकू उत्पाद के पैकेट पर बने हुए वीभत्स चित्र हों, या सिनेमा हाॅल मे पिक्चर शुरू होने से पहले, दिखाये जाने वाले विज्ञापन !
धूम्रपान और एल्कोहल को ,अपनी जीवन शैली मे शुमार कर चुके लोंग !व्यंग्यमिश्रित मुस्कान के साथ, नजरंदाज करते आसानी से दिख जाते हैं….
खुलेआम नशे को स्वीकार कर, आधुनिकता की दौड़ मे शामिल हो जाते हैं….
सलाह दी जाने वाली बातें,शरीर के स्वस्थ रहने तक “प्रवचन”शब्द से नवाजी जाती हैं….
देखते ही देखते इंसान अपने शरीर को,क्षणिक खुशी और स्वार्थ से छलता दिख जाता है….
तम्बाकू उत्पाद और एल्कोहल के अलावा महिलाओं मे होने वाला गर्भाशय की ग्रीवा का कैंसर,ब्रेस्ट कैंसर,ओवेरियन कैंसर !काफी हद तक अपनी प्रारंभिक अवस्था मे पता चलने पर ठीक हो सकते हैं…
लेकिन! सामाजिक जागरूकता की कमी,महिलाओं का खुद के प्रति लापरवाह रहना,सबसे बड़ा कारण, महिलाओं का कैंसर से हार जाने का,समझ मे आता है….
नवजात बच्चों और किशोर बच्चों मे होने वाले कैंसर का कारण !सामान्य तौर पर अज्ञात माना जाता है…..
लेकिन शायद ! आसपास होते हुए विकास,मोबाइल टावरों की भरमार,…गर्भावस्था के समय नशा,मोबाइल तरंगों के पास ज्यादा समय बिताना भी, अजन्मे शिशु और किशोर बच्चों को इस रोग से पीड़ित करने के जिम्मेदार हो सकते हैं…
वर्तमान समाज कहीं तो, चीजों को नजरंदाज करता हुआ दिखता है
कहीं समाज जागरूक दिखता है ..
अनेक स्वयंसेवी संस्थायें,डाक्टर्स के अलावा समाज मे कैंसर पीड़ितों के साथ,लड़ने वालों का एक बड़ा तबका सामने खड़ा दिखता है
“कैंसर जैसी बीमारियों को,आखिर आने का क्यों न्योता देते हैं….
आज से क्यों?अभी से,अस्वस्थकर जीवनशैली से
लड़ने की दृढ़ प्रतिज्ञा करते हैं….
जीवन मिला है,सकारात्मक सोच के साथ जीने के लिए …..
न कि, धुंओं के छल्लों और एल्कोहल के नशे मे
बुद्धि और विवेक को खोने के लिए …..
बाजार मे पूछ कर देखिए !
स्वस्थ फेफडों,स्वस्थ हृदय,स्वस्थ किडनी
स्वस्थ पैंक्रियाज और लीवर के दाम….
उसके बाद तौबा करिये….
धूम्रपान और नशे का साथ.”…
मशहूर सेलिब्रिटीज से लेकर सामान्य नागरिक तक ,कैंसर से लड़ने की इस जंग मे एक साथ ,एक मंच पर खड़े दिखते हैं….
कैंसर पीड़ितों की हौसला आफजाई ,और उनकी जीवन को जीने की ललक को,सलाम करते दिख जाते हैं….
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आपने इस लेख को बहुत बारीकी और संजीदगी से लिखा है। बहुत बहुत आभार।
सराहने के लिए धन्यवाद 😊