त्यौहारों का मौसम पास आते ही
बदलते हुये मौसम के साथ
चारो तरफ रंगत ही रंगत
नज़र आती है…..
संचार माध्यमों को सुनो और देखो तो…
विज्ञापनों की दुनिया
खिलखिलाती सी दिख जाती है….
तमाम तरह के उत्पादों की
छटा बिखरी दिखती है….
कपड़े हों, या दैनिक जरूरतों के दूसरे सामान…..
या देना हो अगर ,कोई उपहार…..
तमाम विकल्प नज़र आते हैं…
बाजार रंगबिरंगी रोशनी मे
डूबे हुए से दिख जाते हैं…..
विज्ञापनों की सजी सँवरी सी दुनिया
हर किसी के चेहरे को,मुस्कान से भर देती है….
इसी सजी सँवरी सी दुनिया के बीच से…
एक मुस्कुराता हुआ चेहरा, विज्ञापन के साथ नज़र आता है..
टेढ़ी मेढ़ी मुस्कान को कहिये गुडबाय….
ब्रेसिस लगवाएँ और खूबसूरत मुस्कान पायें….
मेरे विचार से त्यौहार और, हर्ष मिश्रित मुस्कान….
एक दूसरे से जुड़े होते हैं….
त्यौहार के साथ उमंग और उत्साह…..
जीवन के पलों के साथ ही
पले और बढ़े होते हैं….
त्यौहारों के समय, परिधानों का रंग और ढ़ंग….
संचार माध्यमों मे भी,बदला बदला सा नज़र आता है….
तमाम तरह के रंगों के बीच मे….
चाँदी के समान चमकीला उजला….
सोने के समान सुनहरा रंग….
अपनी उपस्थिति से, परिधानों को
सजाता सँवारता दिख जाता है…..
पारंपरिक त्यौहार और उत्सव के समय….
चिरपरिचित सी बात दिख जाती है….
भारतीय समाज, सामान्यतौर पर पारंपरिक पहनावे के साथ
खुश नज़र आता है….
साल भर की कसर बाजार को
इसी समय निकालनी होती है…..
अपनी तरफ से तमाम तरह की छूट….
साथ मे उपहार का भी वादा….
समझ मे नही आता
सामान्य उपभोक्ताओं को
बाजार का इरादा…..
सामान को खरीदने के इरादे से निकला उपभोक्ता….
उत्साह के साथ,त्यौहार को मनाने की खुशियों के साथ
जुड़ा होता है….
पारंपरिक मिठाईयाँ ज़रा सी पीछे खड़ी
नज़र आती हैं….
चाकलेट और सूखे मेवे के फेर मे
सारी भीड़ दिख जाती है…
विज्ञापन, स्वास्थ्य का ख्याल रखने की बात भी
कहते हुये नज़र आते हैं…..
बस एक विज्ञापन की कमी, नज़र आती है….
ताबड़तोड़ खर्चों से बचने की सलाह…..
कहीं भी नज़र नही आती है…..
निश्चित तौर पर उपहार देना और लेना……
खुशी और अपनेपन का प्रतीक होता है…..
अपने सामर्थ्य के भीतर,और फिजूलखर्ची के बिना भी
त्यौहार मनाये जा सकते हैं……
( चित्र internet से )
चेहरे की मुस्कान को,त्यौहार बीतने के बाद भी
बरकरार रख सकते हैं…..