रोज के जीवन मे चलते फिरते….
आरामतलबी के अंदाज मे घूमते फिरते….
दिमाग को हल्का फुल्का रख कर ध्यान से देखो तो….
प्रकृति का अद्भुत खेल नज़र आता है…..
नन्हा सा जीव भी,इंसानी जगत की तुलना मे….
सभ्यता और शालीनता की मूर्ति, या तमीज़दार
समझ मे आता है…..
आदत के मुताबिक रास्तों मे चलते हुये….
कुछ लिखने के लिये हमेशा ही
विषय वस्तु की तलाश मे रहती हूँ…..
अपने इस उद्देश्य मे कभी
सफल तो कभी असफल रहती हूँ….
कभी गाड़ियाँ कुछ लिखवा देती हैं….
कभी टायर कुछ लिखवा देते हैं…..
कभी वनस्पतियाँ कभी विपत्तियाँ…..
कभी उछलते कूदते बच्चे….
तो कभी बाजारों के मेले….
कभी सड़क के किनारे खड़े ठेले….
कभी मेरे अंदर की माँ जाग जाती है….
अव्यवस्थित सी दिनचर्या या,छितरे हुये बालों को देखकर ही….
नाक और भौहों को सिकोड़ती सी नज़र आती है….
सोचने लगती हूं,थोड़ी सी अक्ल यहाँ पर भी बाट दूं….
व्यवस्थित जीवन शैली और,बालों को समेटने की बात पर डाट दूं….
या इरादा कभी बदल जाता है…..
इंसानियत या मानवता का चेहरा
खुद के भीतर भी नज़र आता है..,.
जब बारिश की रातों के अँधेरे मे, महानगरों मे
अमीर तबके के साथ,गरीब तबका भी रतजगा
करता नज़र आता है…..
गरीबों के सिर पर आसमान की भीगी चादर
फैली रहती है…..
आँखों मे नींद होने के बावजूद नींद
टुकड़ो मे बटी होती है…..
क्योंकि बारिश के पानी ने
सूखी जगह नही छोड़ी होती है……
सुनती हूं,उनकी बातों को भी कभी-कभी ध्यान से
खुद को असहाय सा महसूस करती हूं…..
सांत्वना के शब्दों का, सहारा देने की कोशिश करते हुये
खुद को भी शांति और सुकून देती हूं……
घरों की दीवारों से बाहर निकलते ही तमाम
चीजें नज़र आती हैं…..
अगर गाड़ी का स्टेयरिंग हो हाथ मे तो दिमाग
हमेशा सर्तक रहने की बात कहता है…..
कुछ अगर प्रेरित करने की विषयवस्तु दिखे तो
गाड़ी का पहिया वहीं पर ठहरता है…..
महानगरों मे खाने की तलाश मे या…..
लड़ने भिडने वाले अंदाज मे…..
तमाम पक्षियों के बीच मे,मैना चिड़िया नज़र आती है…..
अपनी पीली सी चोंच,भूरे रंग और
ज्यादा बोलने की आदत के कारण
हमेशा मुझे आकर्षित कर जाती है……
साफ सफाई के प्रति ज्यादा ही गंभीर दिखती है…..
हमेशा काम मे तल्लीन रहती है……
आज ऐसा लगा मानो मैना चिड़िया भी
स्वच्छ भारत अभियान का हिस्सा हो……
पक्षी जगत का ब्रांड एम्बेसडर हो…..
राह मे आराम से चली जा रही थी ……
कभी अपने पंजों से तो कभी चोंच से
इंसानो द्वारा,रास्ते पर फेंकी हुयी पालीथीन
और कचड़े को हटा रही थी……
इस तरह की गतिविधि से मुझे
आकर्षित करती जा रही थी…..
साफ सफाई के प्रति, उसको जागरूक देखकर
कुछ पलों के लिये मै सोच मे पड़ गयी……
हमारी नयी नोट के पीछे छपी हुयी “एक कदम स्वच्छता की ओर”
वाली बात,इसको कैसे पता चली……
शायद ऐसा हो गया होगा……
इंसानी जगत को,साफ सफाई के प्रति लापरवाह देखकर…..
प्रकृति ने अपने प्रहरियों को
“स्वच्छता अभियान” का हिस्सा, बनने के लिये कहा होगा…..
एक बार फिर से दिमाग मे आयी ये बात…..
इंसान के अलावा, हर जीव प्रकृति के बनाये हुये
नियमो पर चलता है…..
इंसान ही है जो, पर्यावरण को
प्रदूषित करके के बावजूद,गर्व से चलता है……
(सभी चित्र internet से )
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अच्छा लेख