कभी कभी दिमाग में आता है,सीधा साधा सा विचार……
अग्नि और कृषि से अपरिचित होने के बाद भी
आदिम युग में मनुष्य तो जीवित रहता था…..
पेट की भूख को महसूस करता था……
अग्नि की खोज न होने के कारण……
और अनाज से परिचित न होने के कारण…..
जानवर की तरह ही भोजन करके अपने
जीवन को जिया करता था….
विकास के क्रम में अग्नि की खोज होते ही
मनुष्य की जीभ भी स्वाद से परिचित हो गयी…..
भुने और पके हुए खाने के साथ साथ….
सोचने और समझने की अद्भुत क्षमता विकसित हो गयी…..
कृषि की तरफ मनुष्य का रुझान बढ़ते ही
अलग-अलग प्रकार के अनाजों का उत्पादन होने लगा…..
मनुष्य घर गृहस्थी की तरफ विकास के क्रम में बढ़ने लगा…..
जब आयी घर के निर्माण की बात तो
हमेशा से था रसोई के साथ……
चूल्हे का घर में एक अलग ही स्थान……
ईंट के चूल्हे हो या,मिट्टी के चूल्हे…..
ईंधन के रूप में,कोयला हो, लकड़ी हो या हो बुरादा….
संघर्ष के साथ खाना पकाने के लिए रखना होता था मजबूत इरादा……
धीरे-धीरे मानव जीवन आगे बढ़ा लेकिन
रसोई का महत्व विकास के साथ भी नही घटा….
घर की तमाम ज़रुरत और सामानों के बीच में
रसोई के सामान ज्यादा अहमियत रखते हैं…..
झोपड़ी में रहने वाले गरीब हों या
सुविधा संपन्न घरों में रहने वाले अमीर…..
भूख हर किसी को लगती है…..
भूख को मिटाने के लिए रसोई की तरफ ही
निगाहें जा कर ठिठकती हैं…..
वैसे भी लयबद्ध तरीके से कहा भी गया है कि……
“भूखे पेट भजन नहीं होय गोपाला
ले तेरी कंठी,ले तेरी माला”
रसोई मुख्य रूप से भावनाओं से जुड़ी होती है….
ज्ञानियों की वाणी से हमेशा से सुनी है यह बात…..
जिस भावना से खाना पकाया और खिलाया जाता है……
उसका सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का प्रभाव
परिवार और समाज के ऊपर पड़ता है….
सामाजिक रिश्ते बनाने हों ,या परिवार की हो बात…..
रसोई और खाने का होता है हमेशा से साथ…..
जुड़े होते हैं रसोई और खाने के साथ हर किसी के ज़ज्बात…..
अविभाजित भारत के पंजाब के गांवों में
सांझा चूल्हा बहुतायत से दिखता था……
ये परंपरा भी समाज को बांधने का काम
किया करती थी…..
आज भले ही रसोई का स्वरूप बदल गया है….
घरों के अंदर ईंट और मिट्टी के चूल्हों की जगह
आधुनिक चूल्हों ने ले लिया है….
फिर भी परिवार को और समाज को बांधने का काम
आज भी रसोई करती है…..
तरह-तरह के व्यंजनों की खुशबू का हो साथ
या हो सीधे साधे खाने की बात…..
जब परिवार के सदस्य या दोस्त हों खाने के साथ
हर किसी के चेहरे पर खुशी झलकती है…..
(सभी चित्र इन्टरनेट से)
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Nice portrayal of theory of human evolution