“अंतरराष्ट्रीय योग दिवस” के पास आते ही, मानसिक चेतना यह कहती हुई लगती है…
स्वस्थ जीवन शैली ,आज के समय में सबसे महत्वपूर्ण हो गयी है….
आपाधापी के इस दौर मे ! मन और दिमाग के साथ-साथ, जीभ के माध्यम से भी शरीर अस्वस्थ हो रहा है…
मजबूत इरादों की कमी के कारण, कहीं समाज का युवा वर्ग नशे की लत में डूबा दिखता है….
कहीं बुरी आदतों के परिणामस्वरूप,खराब स्वास्थ्य से लड़ता दिखता….
स्वस्थ जीवन शैली की तरफ इंसान तब तक नही मुड़ता….
जब तक अस्वस्थ शरीर के साथ नही जूझता…..
तब चिकित्सा के आधुनिक तरीकों के साथ, पारंपरिक तरीकों को अपने साथ लेकर स्वस्थ जीवन की चाह मे आगे बढ़ता…..
चाहे वो ऊपर वाले की दुआओं का साथ हो,सात्विक खाने की बात हो,या योग को दैनिक जीवन में उतारने की जरूरत हो….
सच कही गयी है यह बात, कि केवल बाह्य दिखावे के लिए नही, वास्तविकता में अगर खुशी और अंर्तमन की शांति चाहिए तो, योग को दैनिक जीवन में अपनाना होगा……
व्यक्ति का सौंदर्य और स्वास्थ्य,बहुत कुछ आत्मविश्वास के ऊपर निर्भर करता है…..
योग के माध्यम से आत्मविश्वास को पाया जा सकता है….
योग की महिमा को जानकर, इसे स्वस्थ जीवनशैली के लिए अपनाकर व्यस्त, तनावपूर्ण और अस्वस्थ दिनचर्या के बीच मे भी सकारात्मक प्रभाव देखे गये है….
ऐसा माना जाता है कि, जब से सभ्यता शुरू हुई है, तभी से योग किया जा रहा है..
वेदों के माध्यम से प्रचलित योग के प्रमाण, सिंधु घाटी सभ्यता मे योग और समाधि को प्रर्दशित
करती हुई मूर्तियों के मिलने से होता है….
योग सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित आध्यात्मिक विषय है ….
जो मन एवम् शरीर के बीच में सामंजस्य स्थापित करने पर ध्यान देता है….
यह स्वस्थ जीवन यापन की एक कला एवम् विज्ञान है…
योग शब्द संस्कृत की ‘युज’ धातु से बना है ,जिसका अर्थ होता है एक जुट होना या शामिल होना….
योग से जुड़े ग्रंथों के अनुसार ,योग करने से व्यक्ति की चेतना ‘ब्रह्मांड’ से जुड़ जाती है….
और व्यक्ति नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा को भी महसूस कर सकता है….
योग को मुख्य रूप से चार भागों मे बांटा गया है…
कर्मयोग- जहां हम अपने शरीर का उपयोग करते हैं….
भक्तियोग- जहां हम अपनी भावनाओं काउपयोग करते हैं….
ज्ञानयोग- जहां हम मन एवम् बुद्धि का उपयोग करते हैं….
क्रियायोग- जहां हम अपनी ऊर्जा का उपयोग करते हैं…
वैज्ञानिक शोध अनुसंधान एवम् वैदिक ज्ञान हमेशा से यह बताता है….
तरह तरह के आसनों के अलावा, प्राणायाम के जरिए सांसों की आवाजाही में जागरूकता पैदा की जा सकती है….
प्राणायाम मन की चेतना को विकसित करने मे मदद करता है,और मन पर नियंत्रण रखने मे भी सहयोगी होता है….
निश्चित रूप से योग साधना को सार्थक तरीके से जीवन यापन के लिए, रामबाण माना जाता है…
योग किसी खास धर्म, आस्था पद्धति या समुदाय के मुताबिक नही चलता है…
इसे सदैव अंर्तमन की सेहत के लिए कला के रूप मे देखा गया है….
जो कोई भी तल्लीनता के साथ योग करता है, वो इसके लाभ को पूरी तरह से पा सकता है...
(सभी चित्र internet से )
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