मानव शरीर है पंचतत्व का मेल
पृथ्वी ,आकाश ,वायु ,जल और अग्नि का खेल”
पंच तत्वों का मानव शरीर मे ,संतुलन आवश्यक होता है।
सही संतुलन न होने पर मानव शरीर, तमाम व्याधियों से जूझता है
बात अगर पृथ्वी की करें तो,दिमाग मे सबसे पहले मृदा आती है।
अपने चमत्कारिक गुणों से, आश्चर्य मे डाल जाती है।
ज्यादा गूढ़ता या गहराई मे न जाये तो,सबसे सरल धरा ही लगती है।
आकाश का बदलता हुआ रंग और बदलता हुआ मिज़ाज….
वायु का कभी तीव्र तो कभी मंद गति से चलना….
जल का कभी शांत तो कभी, उग्र सा दिखता हुआ रूप…..
अग्नि का कभी प्रचंड रूप तो कभी, दीपों के माध्यम से ही अंधेरे पथ को आलोकित करना….
इसी विषय पर विचारों के साथ खेल रही थी।
अचानक से याद आया कि, पौधों की क्यारियों मे डालने की आवश्यकता के तहत ही तो महानगरों मे, मिट्टी को मोल लेते हैं।
प्रकृति के द्वारा दिया हुआ जल बिकाऊ है।
प्रकृति के द्वारा दी हुई मिट्टी भी, सीमेंट और कंक्रीट के जाल मे सहजता से उपलब्ध नही।
मानव सभ्यता के विकास के क्रम का अगर अध्ययन करें तो…
मिट्टी का रोज के जीवन मे, अच्छा खासा उपयोग दिखता है…
कहीं तो पूरा का पूरा घर ही मिट्टी का बना हुआ।
कहीं मिट्टी की सहायता से दीवारें बनी दिखती हैं।
खाना पकाने के बर्तन,खाना खाने के बर्तन भी मिट्टी के ही बने हुए दिखते हैं।
अनाज को पकाने के लिए बनाये गये चूल्हे भी, मिट्टी के ही बने होते थे।
औषधि के रूप मे भी ,मिट्टी उपयोगी दिखती है।
साफ सफाई के लिए भी मिट्टी का ही उपयोग दिखता है।
आश्चर्य मे डालती है , मिट्टी की बात….
करो अगर मिट्टी की बात तो…..
मिट्टी के साथ जुड़े होते हैं, मानव मन के जज्बात ……
खेत खलिहानों की मिट्टी
अनाज उपजाते हुए दिख गई ……
किसानों की आशा और निराशा की बात
मिट्टी ही तो थी,जो कह गई ……
देश की समृद्धि और विकास की बात से
मिट्टी कहाँ अछूती रहती है…..
देशभक्त सैनिकों के ज़ज्बातों मे ….
देश की मिट्टी
गर्व की बात कहती है ….
बचपन के खेल…..
मिट्टी से मेल…..
कहीं बरसात मे भीगी हुई मिट्टी की
सोंधी सी महक को सूंघना……
कभी भीगे हुए दियों या ,मिट्टी के घड़ों से आती हुई
सनसनाहट की आवाज को…..
कान लगाकर इत्मीनान से सुनना…..
कभी मिट्टी से खिलौने बनाना…..
मिट्टी की बनी गुल्लकों मे ,अपनी अमूल्य निधि को संजोना….
ज़रा से गर्व के साथ,गुल्लक को निहारना….
मिट्टी की सोंधी सी महक के कारण ही
बालमन का मिट्टी को खाने मे, चुपके से जुट जाना…..
मिट्टी के बने हुए घड़े
शताब्दियों से उपयोगी समझ मे आते हैं…..
प्राकृतिक रूप से जल को शीतल रखने की बात
अपने ही अंदाज मे कह जाते हैं….
मिट्टी होती है अनमोल….
स्वास्थ्य और सेहत के साथ
मिट्टी का होता है जोड़….
प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति, मिट्टी की उपयोगिता बतलाती है……
तमाम तरह की बीमारियों से निजात पाने के लिए
मिट्टी के लेप और मिट्टी से स्नान की बात
कह जाती है…..
विज्ञान के साथ, विकास के क्रम मे, रोज के जीवन मे उपयोग मे आने वाली अनेक धातुओं के साथ ,अनमोल धातुओं ने भी मिट्टी के भीतर से ही जन्म लिया है।
मिट्टी की उपयोगिता को एक बार फिर से, शोधकर्ताओं और चिकित्सकों ने स्वीकारा है।
मिट्टी के बर्तन अपने बदले हुए रूप के साथ ,एकबार फिर से रसोईयों मे दिखने लगे हैं।
स्वास्थय को सबसे ऊपर मानकर ,विकसित और विकासशील देशों ने मिट्टी की उपयोगिता को स्वीकारा है।
क्योंकि मिट्टी , नि:संदेह अनमोल गुणों का खजाना है।
(सभी चित्र internet से )