( चित्र internet से )
बचपन मे भाषा के ज्ञान के साथ, जीवन पर्यंत नन्हा बच्चा!
शिक्षा के समंदर को पार करने के लिए…..
तैरता हुआ दिखता है…..
भाषाओं की वर्णमाला के साथ शब्द ज्ञान की
शुरुआत करता दिखता है…..
अंग्रेजी भाषा के, अल्फाबेट की अगर बात करें तो …..
मेरी इस रचना के विचारों के अनुरूप……
U से UNIFORM को और, हिंदी भाषा के अनुरूप…..
व से वर्दी शब्द को चुनता है……
स्कूल जाते हुए बच्चे हों, खिलाड़ी हों, वकील हों…..
या कहीं – कहीं उच्च शिक्षण संस्थानों मे भी…..
युनिफार्म को, अनिवार्य समझा जाता है……
कारण!! केवल समानता के भाव को
दर्शाना माना जाता है……
( चित्र internet से )
युनिफार्म या वर्दी! शब्द को सुनते ही….
दिमाग! अनुशासन मे ढल जाता है…..
अपनी वर्दी की आत्मा के साथ….
काम मे रम जाता है…..
क्योंकि वर्दी! निश्चित तौर पर …..
अनुशासन का पर्याय होती है…..
राष्ट्रीय पर्व पर,राजपथ की हो बात…..
या हो देश की, बाह्य सुरक्षा की बात…
युनिफार्म! जल,थल और वायु के साथ
दिख जाती है….,
अपने अनुशासित जीवन का, वर्दी के साथ
असर छोड़ जाती है,.,…
सशस्त्र वर्दीधारी !अपनी वर्दी,अपने कदमताल……
अपनी शौर्य गाथाओं से,आम भारतीयों का मस्तक….
गर्व से ऊंचा करते दिखते हैं…..
लेकिन! सामाजिक जीवन मे….,.
बाह्य सुरक्षा मे लगे वर्दीधारी, और गैरवर्दीधारी के बीच…..
गहरी खाई नज़र आती है….,
आश्चर्य मे डालती है यह बात …..
क्या वर्दी समानता और,अनुशासन का पर्याय होने के बाद भी…..
समाज मे जिम्मेदार, ठहराई जा सकती है ??
हमारे देश की बाह्य सुरक्षा ,वर्दी को सौंपने के बाद….,
अब आती है, आंतरिक सुरक्षा की बात…,.
नागरिकों के साथ,देश की आंतरिक सुरक्षा भी
वर्दी के साथ दिखती है……
संचार माध्यमों के साथ, यदि खबरों को पढ़ो तो …
वर्दी या युनिफार्म!! हर दूसरी नही तो, तीसरी खबर के साथ
खड़ी दिखती है…
राजनीतिक शक्ति प्रर्दशन की बात है……
वर्दी मुख्य पृष्ठ के साथ है….
समझ मे नही आती बात!!
सुरक्षा का पर्याय है वर्दी ?
सुरक्षित समाज के साथ है वर्दी ?
क्या वर्दी भी,स्वामीभक्ति की भावना के साथ खड़ी है?
या वर्दी राजनेताओं और, राजनीति के साथ जुड़ी कड़ी है?
महिला सुरक्षा की बात करो तो ,सबसे पहले वर्दी! ….
आँखों के सामने, नज़र आती है….
लेकिन महिलाओं के प्रति, होने वाले अपराध के समय वर्दी!
किसी कोने मे छुप जाती है…..
समाचार पत्र हर रोज ,महिलाओं के प्रति होने वाले
अपराध से भरे रहते हैं….
( चित्र दैनिक जागरण से )
वर्दीधारी राजनीति के गलियारों मे…..
चहलकदमी करते हुए दिखते हैं….
समाज की सुरक्षा! हाशिये पर चली जाती है……
जब राजनीतिज्ञों की सुरक्षा की बात,सामने आती है….
सोचने पर मजबूर करती है यह बात……
सत्य के साथ वर्दी,या असत्य के साथ वर्दी?
वर्दी! निश्चित रूप से,सम्मान पाने की अधिकारी है…..
क्योंकि! देश की आंतरिक सुरक्षा की बात हो…
या हो, बाह्य सुरक्षा की बात….
वर्दी के कंधों पर, महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है……
अपना जीवन, देश और समाज के प्रति,सर्मपित करने वाले
वर्दीधारियों की कमी नही देश मे……
अपना काम, ईमानदारी से करने वाले वर्दीधारी…..
निश्चित रूप से सम्मान के हकदार हैं…..
सोचने वाली है यह बात !
क्यों दिखता है, समाज मे…..
कभी और कहीं ,वर्दी के प्रति अविश्वास….
कहीं वर्दी, राह से तो नही भटक गई …..
महत्वाकांक्षायें !असीमित इच्छायें ! राह मे तो नही खड़ी हो गयीं ……
हमारे विचार से, खोजना पड़ेगा वर्दी को समाज मे
खोया हुआ, अपना विश्वास …….