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बातें शिव भगवान की

by 2974shikhat October 31, 2017
by 2974shikhat October 31, 2017

​

Lord Shiva

                            हे शिवशंकर शंभू!
विचरते रहते हो हिमालय
की “कंदराओं” मे
हिमालय की “शिखाओं” मे
क्या करते हो तुम वहाँ पर भी
अपना “श्रृंगार” ?

                         देखा है शिवालयों मे दिन के
अलग-अलग पहरों मे होता
हुआ तुम्हारा “श्रृंगार” ।
                         मानव मन अपनी आस्था
और आराधना को तरह-तरह के
चोले पहनाता है ।
                        बस इसी कारण से भाँति भाँति की चीजों से
तुम्हारा “श्रृंगार” आस्था के साथ करता जाता है

हे शिवशंकर! लेते हो तुम आराधना रूपी
अपनी देखभाल का पूरी तरह से मजा ।

                       मंद मंद मुस्कान से अपने चेहरे
को रहते हो सजा ।
                        ये शिवालय भी कितनी अद्भुत सी
जगह होती है ।
                          ऐसा लगता है चारो तरफ “दिव्य ज्योति”
“आलोकित” होती रहती है ।
                          जल, फल, दूध और मिठाई अपार ।
मुझे लगता है करते रहते हो तुम
इन सभी चीजों का बेसब्री से इंतजार ।
                          कण कण के भीतर समा कर के
मानव के भीतर करते हो आस्था
असीमित शक्ति और हिम्मत  का संचार ।
                         वैसे तो है तुम्हारा “घुमंतू”स्वभाव
अंग भभूत लपेटकर
संग भूत प्रेत पिशाचों
और अपनी आस्था मे लीन भक्ति को लेकर
विचरते हो आकाश से पाताल ।
Lord Shiva
                       समझ मे नही आती मुझे, छोटी सी एक बात
क्यूँ करते हो तुम भाँग और धतूरे का सेवन ?
                         अच्छा चलोअब ये तो बताओ
देते क्या हो संदेश ! तुम मानव जीवन को ?
                          कहता है मेरा मन,छोटी सी एक बात
लेकिन दृढ़ता के साथ
होगा शायद तुम्हारा यही विचार ।
                         ऐ सृष्टि मे विचरने वाले प्राणी !
दे दो सारी हानिकारक चीजों की मुझे सौगात ।
                          बदले मे दूंगा मै तुम्हें, आर्शिवाद ।
मत करना भक्ति के नाम पर, खुद को नशे मे चूर ।
सारी नकारात्मकता को कर दूंगा मै दूर ।
                         विश्वास के साथ मेरी शरण मे तो आओ ।
मत रहा करो आराधना के केन्द्र “देवालयों”
और “शिवालयों” से दूर ।
Asthabhaktifeelings of positivitylord shivaMahashivratriSprituality
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मेरे विचार, और कल्पनाएं… जीवन की छोटी-छोटी बातें या चीजें, जिनमे सामान्यतौर पर कुछ तो लिखने के लिये छुपा रहता है… एक लेखक की नज़र से देखो तब नज़र आता है … उस समय हमारी कलम बोलती है… कोरे कागज पर सरपट दौड़ती है.. कभी प्रकृति, कभी सकारात्मकता, कभी प्रार्थना तो कभी यात्रा… कहीं बातें करते हुये रसोई के सामान, कहीं सुदूर स्थित दर्शनीय स्थान…

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