रोज की खबरों को पढ़ने की,उत्सुकता को समेटे हुये
अखबार का साथ था….
सामाजिक सरोकार से जुड़े हुए, लेखकों के लेख….
कभी-कभी अपने विषय और, विचारों की तरफ….
मानसिक रूप से खींच ले जाते हैं….
इस तरह के विषय को…..
समाज की जरूरत समझकर हमारी भी
कलम मचल गयी….
स्वस्थ वातावरण मे…
स्त्रियों के मजबूती से, समाज मे खड़े होने की बात पर…
शब्दों को उगल गयी…
उद्देश्य हमारा, इस तरह के विषय पर लिखना….
पुरूषों को व्यक्तिगत रूप से, आहत करना नही है….
बस ,समाज की एक लाइलाज सी लगने वाली बीमारी पर….
अपने विचारों को, मजबूती से रखना है…
हमारे देश का कोई भी हिस्सा हो….
किसी भी प्रदेश,महानगर,गाँव या कस्बे का किस्सा हो….
स्त्रियों और लड़कियों के प्रति अपराध….
हर जगह सुनायी पड़ जाते हैं…..
शायद ! पितृसत्तात्मक सोच या,संतान के रूप मे…
सिर्फ बेटे ही उचित की कहानी….
हर दूसरे नही तो तीसरे घर की, वास्तविकता होती है…
बेटों के पालन पोषण के समय….
इंसानियत का सबक सिखाना शायद ,परिवार भूल जाता है….
शनै:शनै: भारतीय समाज की, विकृतियों पर नज़र डालने पर….
समाज मे विकृति बढ़ने का महत्वपूर्ण कारण…..
बेटे और बेटी के पालन पोषण मे, तुलनात्मक रूप से….
पारदर्शिता को न अपनाना ही, समझ मे आता है…
यही कारण है कि….
हर दिन महिलाओं के प्रति, नये अपराध के किस्सों के साथ…..
संचार माध्यम नज़र आते हैं….
विज्ञापनों की दुनिया समाज पर…
अपनी गहरी छाप छोड़ जाती है….
मानो या न मानो……
विज्ञापन भी, पुरूषों को स्त्री हिंसा की तरफ
प्रेरित करते हैं….
पितृसत्तात्मक सोच कह लो…..
या सामान्य बोलचाल की भाषा मे,मेल डामिनेन्स कह लो….
अपनी अवहेलना के समय….
विवेक को खोता हुआ दिखता है….
बस इसी कारण …..
प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समाज मे…
महिलाओं के प्रति, हिंसा और अपराध का जन्म होता है…
स्त्रियों के साथ साथ पुरुष भी….
इस बात को नकार नही सकते कि….
आज के समय मे,स्त्री सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा है…..
स्वस्थ समाज की गाड़ी….
पुरुषों की सकारात्मक सोच के बिना….
आगे नही बढ़ सकती…..
“स्त्री हिंसा” केवल स्त्रियों का ही मुद्दा नही है…..
इस बात को पुरुषों को,जल्द से जल्द स्वीकारना होगा....
आज के समय मे सबसे बड़ी जरूरत..
इंसानियत के भाव को सबसे आगे रखकर….
नवजात बच्चों की परवरिश का है….
युवा अभिवावकों के कंधों पर
महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है…….
स्त्रियों और लड़कियों के प्रति, हिंसा और अपराध…..
समाज की सबसे गंभीर बीमारी है……
बदलेगा महिलाओं के प्रति
सकारात्मक रूप से समाज का व्यहवार….
आज से नही,अभी से करना होगा…,,
पुरूषों को,महिलाओं के साथ मिलकर
सार्थक प्रयास …..
(सभी चित्र internet से )