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बचपन (Childhood )

by 2974shikhat March 23, 2017
by 2974shikhat March 23, 2017

​March 23, 2017

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Image Source : Google Free

आजकल चारो तरफ बच्चों की मस्ती दिखाई पड़ रही है । बच्चों का खिलंदड़ मिजाज हर जगह दिख रहा है ।समय चाहे सुबह का हो या शाम का , पार्क हो या खेलने की कोई और जगह , हर जगह बाल सुलभ चंचलता दिखाई पड़ती है ।

जिन बच्चों ने भी अपने पाँव पर चलना शुरू कर दिया है उन्हें, किसी भी प्रकार से झूलों या पार्क मे भागना है ।यही सब बाहर खड़े होकर आराम से देख रही थी । थोड़ी सी समझदार बहनें अपने भाइयों का हाथ पकड़कर, झूले पर घुमा रही थी तो कहीं, भयंकर युद्ध का माहौल था ……

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दो बच्चों को साथ मे देखा…..
मेरी गो राउण्ड के पास मे देखा…..

खिलखिलाता हुआ सा बचपन देखा….
भाई और बहन का प्यार देखा….

आओ पकड़ो मेरा हाथ भाई….
क्यूँ करते हो तुम लड़ाई….

बहन भाई को समझा रही थी…..
अपने बालों को खिचवा रही थी…

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दोनो का विश्वास भी देखा…..
हाथो मे एक दूसरे का हाथ देखा….

पहले तुम चढ़ो मै घुमाती हूँ….
लेकिन तुम तो मुझे चिढ़ाती हो….

नटखट आँखे घूम रही थी….
कुछ बदमाशी ढूंढ रही थी….

आओ मिलकर खेले खेल….
बाहर तो है रेलमपेल…..

जीवन मे आयेगी जब भी कठिनाई….
तब तुम बनना सारथी मेरे भाई….

घूमते घूमते दुनिया दिखती है गोलमगोल….
चंदा तू तो गोलमटोल…

वो देखो आकाश भी घूमा….
साथ मे सूरज को ले डोला….

इन बच्चों का किसी से न कोई बैर….
अब आप सुनाइये अपनी खैर….

ये बचपन बड़ा सुहाना है….
ये रूठना और मनाना है….

जब होंगे हम बड़े सयाने…
तब बदलेंगे जिन्दगी के मायने….

तब जिंदगी की सच्चाई दिखेगी….
राहों मे कठिनाई दिखेगी….

तब याद आयेगा यही बचपन….
इन्ही शरारतों को तरसेगा मन….

करते समय सामना कठिनाईयों का….
राह दिखायेगा यही बचपन…

अपने आप को भी राह मे देखा….
मेरी गो राउंड की चाह मे देखा…

आँखों मे आ गयी जल्दी ही चंचलता….

आ गयी एक बार फिर से प्रफुल्लता….

मेरा भी बचपन झाँक रहा था…
धक्का मुझे मार रहा था…

मेरे कानों मे धीरे से बोला…
बचपन को फिर से जीते हैं….

जीवन की आपाधापी में …..
कल क्यूँ , आज से ही शुरुआत करते हैं….

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2974shikhat

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radhikasreflection March 27, 2017 - 3:43 am

Bachpan ke din bhi kya din the…..Bahut khoob 🙂

Mrs. Vachaal March 27, 2017 - 9:28 am

Thanx Radhika..Bachpan ke din hi sbse behtar the 😊

About Me

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कहानी का दूसरा पहलू मेरी दुनिया में आपका स्वागत है

मेरे विचार, और कल्पनाएं… जीवन की छोटी-छोटी बातें या चीजें, जिनमे सामान्यतौर पर कुछ तो लिखने के लिये छुपा रहता है… एक लेखक की नज़र से देखो तब नज़र आता है … उस समय हमारी कलम बोलती है… कोरे कागज पर सरपट दौड़ती है.. कभी प्रकृति, कभी सकारात्मकता, कभी प्रार्थना तो कभी यात्रा… कहीं बातें करते हुये रसोई के सामान, कहीं सुदूर स्थित दर्शनीय स्थान…

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