बात ! बीते हुए कल की है…..
“बूँदाबादी के साथ फिर से
एकबार सताएगी ठंड
छाएगा कोहरा”…..
जैसी खबर…अखबार के साथ थी…..
भोर की चमक भी, धूमिल सी नज़र
आ रही थी…..
आँखें खुलते ही,वातावरण मे…..
मिट्टी की, सोंधी सी महक आ रही थी…..
ऐसा लग रहा था मानो!…..
आते ही वसंत ऋतु ने…..
सर्द मौसम की,ठिठुरन….
कम करने की ठानी……
शायद इसी कारण!
हल्की बारिश के बाद भी ठंड मे
इजाफा न दिखा…..
मौसम विभाग की भविष्यवाणी…..
एकदम सटीक साबित हुई…..
बुधवार के साथ-साथ, बृहस्पतिवार को भी….
मौसम ने अपने रंग को बदला…..
सुबह से ही तेज हवा का असर
दिख रहा था….
हर शहर वासी!
मौसम के बदलते हुए मिजाज से….
वाकिफ हो रहा था….
देखते ही देखते बादल भी
“पत्थरबाज” हो गये ….
घमासान बारिश के साथ….
“ओलावृष्टि” के साथ हो गये….
रास्तों पर ,सफेद चादर सी बिछी
दिख रही थी…..
“पत्थरबाज”बादलों की करामात…..
आँखों के सामने दिख रही थी….
“ओलावृष्टि” जैसी प्राकृतिक घटनायें!
कभी कभार होती हैं……
“ओलावृष्टि”की अधिकता….
कोमल फसलों को, नुकसान पहुंचाती है….
लेकिन!मौसम मे बदलाव लाती है…..
सामाजिक जीवन या किसी एक..,
प्रांत विशेष मे होने वाली “पत्थरबाजी”की घटनायें …..
प्राकृतिक नही होती…..
‘नफरत’ और ‘वैमनस्ययता’ के भाव को….
फैलाने के उद्देश्य से…..
प्रायोजित की जाती हैं….
देश की आंतरिक और, बाह्य सुरक्षा मे तैनात
वर्दीधारी हों,या सामान्य नागरिक…..
पत्थरबाजी”के कारण….
कभी और कहीं, गंभीर रूप से घायल….
तो कहीं साँसों का साथ,छोड़ते नज़र आते हैं…
प्राकृतिक बारिश और, हल्की फुल्कीओलावृष्टि
मन को खुश करती है….
प्राकृतिक घटनायें, वैज्ञानिक तथ्यों पर
आधारित होती हैं…..
दूसरी तरफ प्रायोजित तरीके से होने वाली
पत्थरबाजी की घटनायें…..
मन को विषादग्रस्त करती हैं….
“धरती का स्वर्ग” कहा जाने वाला….
हमारे देश का हिस्सा ….
पत्थरबाजी की घटना के कारण…
हमेशा सुर्खियों मे रहता है….
पत्थरों की चोट से ,अपनी खूबसूरत जमीं को
लाल किये रहता है….
हमारे शहर मे, जमीं पर बिछे हुए सफेद कठोर पत्थर….
देखते ही देखते पिघल गये…
अपने कठोर अस्तित्व को भूलकर ….
देखते ही देखते ,तरल रूप मे पानी बन गये…
बादलों के द्वारा की हुई “ओलावृष्टि” का
नामोनिशां नही दिख रहा था….
भीगी भीगी सी जमीं के साथ….
खुशनुमा सा,मौसम का अंदाज दिख रहा था…
इंसानों की दुनिया मे, क्या पत्थरबाज भी….
प्रकृति से सीख ले सकते हैं…..
अपनी क्रूरता और ,कठोर अपराध को छोड़कर ….
प्रकृति द्वारा प्रदत्त, ओले समान बन सकते हैं…..
सोचने योग्य लगती है यह बात !
हमारे शहर मे बदले हुए मौसम के साथ…
बादलों के पत्थरबाज होने के बाद…
उपजे हैं हमारे ये जज़्बात …