मनुष्य का जीवन चलता रहता है…..
इंसान कभी गिरता तो कभी सँभलता रहता है….
हर इंसान के जीवन मे ऐसा दौर आता है…
जब व्यक्ति विचारों के चक्रव्यूह मे घिर जाता है…..
खुद से ही सवाल जवाब करता हुआ
उलझता जाता है….
तब अंर्तमन मे गूँजते हैं, कुछ सवाल…..
शीघ्र ही खोजने होते हैं,उनके जवाब…..
“ऐ जीवन तू क्या है,क्या है तेरा मोल”
“कभी कहीं तो बन जा तू भी अनमोल”
समाज मे हर दूसरा नही तो तीसरा इंसान
इस तरह के विचारों से घिरा है….
किसी के ऊपर नकारात्मक विचारों का बोझ बढ़ा…
किसी को शारीरिक व्याधियों ने घेरा…
तो किसी के ऊपर अलग तरह की मुसीबतों का डेरा…
बस इन्हीं कारणों से इंसान खुशी और चिंताओं की
समनान्तर चलने वाली लहरों से घिरा है…..
ये लहरें जीवन मे उथल-पुथल मचाती है….
कभी इंसान को बिखेरने के लिए तत्पर दिखाती हैं……
तो कभी “अनमोल हुनर”इनाम स्वरूप दे जाती हैं……
हौसला और विश्वास जिसके मन मे पला है…..
उसे “ऐ जीवन तू क्या है”जैसे सवालों ने कहाँ
ज्यादा देर तक छला है….
ऐसे इंसानों के जीवन मे तूफान कब और कहाँ रोड़ा है…..
इतिहास के पन्नों को पलट कर देखो
उन्हीं पन्नों ने ये बात बोला है…..
गुजर जाते हैं तूफान इंसानों की बंद आँखों के सामने से….
उन जीवों और वनस्पतियों से तो पूछो जिन्होंने तूफानों की
भयावहता को खुली आँखों से देखा है….
दिख रहे हैं, मजबूती से खड़े हुये आज भी
क्योंकि हौसला,इरादों की मजबूती
और विनम्रता ने ढाल बनकर तूफानों को सहा है….
फेंक कर नकारात्मक विचारों का चोला……
जिसने पहना सकारात्मक विचारों का गहना…..
वो आज नही तो कल,पर्वतों सी ऊँचाईयों को
छूने की राह पर बढ़ चला है….
( चित्र Power of positivity से)
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Nice…
Thanks 😊
Feeling more positive after reading your post
Thanks😊