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आँखें ईश्वर का दिया हुआ खूबसूरत वरदान होती हैं….
शब्दों के बिना ही बोलती हैं…..
तरह तरह के भावों को लेकर डोलती हैं…..
जीवन का सफर उतार चढ़ाव लाता है…..
उन्हीं आँखों मे कभी दुख के भाव के कारण तो कभी
खुशी के कारण आँसू छलकाता है…
आँखें वही आँसू वही आँसूओं का स्वाद वही नमकीन सा..
खुशी या गम के समय आँसूओं का स्वाद नही बदलता…
क्योंकि नमकीन आँसूओं का स्वाद कभी मीठा नही होता…
आँखों मे ज्योति हो या अँधियारा….
आँसू हर व्यक्ति की आँखों मे छलकते हैं..
देखा आँखों की रोशनी से वंचित जीवन को
आत्मा कसमसा गयी ज़रा सा डगमगा गयी…
नेत्रहीन लोगों के रोज के जीवन के संघर्ष को देखकर
मन विचलित हो गया…
तमाम सवालों को दिमाग मे छोड़ गया…
बिना आँखों के प्रकृति के रंग कैसे समझ मे आते होंगे
बिना रंगों के कैसे दुनिया सजाते होंगे…
कितना मुश्किल होता होगा इनका जीवन…
हमे तो रात के अँधियारे मे बिना रोशनी के
रास्ता भी न सूझता…
अधीरता से रोशनी के पास पहुँचने के लिए
मन डोलता….
अँधियारे के समय हमेशा रोशनी की आस होती है…
क्योंकि रोशनी कहीं आस पास ही होती है…
लेकिन नेत्रहीनों के मन मे तो रोशनी की आस भी नही होती..
गहरे अँधेरे मे कैसे पता चलता होगा सवेरा…
बिना रंगों को समझे बूझे कोई कविता बन सकती है क्या?
सशंकित हो गया दिमाग क्योंकि कविता का और रंगों का
तो हमेशा होता है साथ…
प्रकृति ने चारों तरफ सुन्दरता दी…
उसको देखने और समझने के लिए आँखें दी…
नेत्रहीनों की आँखों से अगर दुनिया को देखो
तो भूचाल सा आता है….
दिमाग विवेक शून्य हो जाता है….
सब कुछ उलट पुलट जाता है….
मन मे तमाम सवाल छोड़ जाता है…
बिना आँखों की रोशनी के इंसान
कितनी हिम्मत दिखाता है….
रोज़ की जिम्मेदारियों के साथ-साथ
जीवन के झंझावातों को जिंदादिली से निभाता है….
ऐसे लोगों को आत्मसम्मान के साथ
जीवन को जीते देख कर….
दिल गर्व से भर गया….
सिर झुका कर उनको सलाम कर गया…
( समस्त चित्र internet के द्वारा )