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अचानक से दिमाग मे विचारों का
प्रबल प्रवाह उठ गया…..
कागज पर उतरने के लिए
तीव्रता से मचल गया…….
दिमाग के दिये हुए संदेश को पूरा करने
मे शरीर शीघ्रता से जुट गया……
कागज को खोजने के बाद
याद आयी कलम की बात…..
बिना कलम के कैसे उतरेंगे
कागज पर जज्बात…..
ये कलम भी कितनी काम की चीज होती है….
हाथ मे आते ही विचारों के साथ जुड़ जाती है….
टेढ़ी मेढ़ी, छोटी मोटी, गोल मटोल आकृति के
अक्षरों को बनाती है…..
शब्दों से सजाती है…..
कोरे कागज को भरती जाती है….
ये शब्द भी कलम के साथ मस्ती मे डोलते हैं…..
हमेशा ही कागज पर नये नये रूप और रंग के साथ
झूला झूलते हैं….
कलम का इतिहास भी कितना पुराना है….
रंग और रूप अलग-अलग लेकिन काम
लिखने का ही करते जाना है….
पंख हो,या बाँस हो, या धातु से बनी हो, इसकी आकृति….
उतारती है मिट्टी, धातु,भोजपत्र या कागज पर अपनी कृति….
कलम ने शुरुआत से ही दवात का साथ निभाया है…..
अब तो फाउण्टेन पेन या रिफिल का जमाना है…..
समाज ने कलम के हर रूप को
सम्मान के साथ अपनाया है…
कलम वही काम कितना अलग-अलग करती है…..
लिखती है कभी कविता, कभी कहानी….
कभी लिख जाती है स्मृति कोई पुरानी …..
बड़े बड़े ऋषि मुनियों ने वेदों की ऋचाओं
और पुराणों को भी कलम के साथ उतारा है…..
कलम से ही लिखे जाते हैं,नवजात बच्चे का नाम….
कलम से ही लिखे जाते हैं,अदालतों के फरमान….
नन्ही सी कलम काम बड़ा ईमानदारी से करती है….
जब तक रहता है इसका जीवन कोरे कागजों को
रंगती ही रहती है…..
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bahut hi khubsurata rachna.
मेरी रचना को पढ़कर प्रशंसा करने के लिए धन्यवाद 😊
Swagat apka.