Life And Its Stories
  • Motivation
  • Mythology
  • Political Satire
  • Spirituality
Life And Its Stories
  • Travel
  • Women’s Rights
  • Daily Life
  • Nature
  • Short Stories
  • Poems
  • Audio Stories
  • Video Stories
  • About Me
  • Contact
  • Motivation
  • Mythology
  • Political Satire
  • Spirituality
Life And Its Stories
  • Travel
  • Women’s Rights
  • Daily Life
  • Nature
All

उलझा हुआ सा सवाल,यात्रा के दौरान परिधान

by 2974shikhat October 9, 2018
by 2974shikhat October 9, 2018

Train travel

ट्रेन ने प्लेटफार्म से सरकते ही अपनी गति पकड़ी ही थी,कि अचानक से ब्रेक की आवाज के साथ,बढ़ती हुयी ट्रेन की गति कम होनी शुरू हो गयी।

देखते ही देखते प्लेटफार्म की सीमा से आगे बढ़ चुकी ट्रेन, आराम से खड़ी हो गयी। शायद फिर से चेन पुलिंग हुई थी।

इसबात की आशंका नमिता को हमेशा से ही रहती है ,जब सही समय पर कोई ट्रेन अपनी दूरी नापने के लिये प्लेटफार्म से सरकना शुरू करती है।

अचानक से उसके कंपार्टमेंट मे हलचल बढ़ जाती है । कई सारे लोग दौड़ते भागते हुये ट्रेन के अंदर प्रवेश करने के बाद,विजयी भाव के साथ,अपनी अपनी बर्थ की तलाश मे, बेसब्री से घूमते फिरते नज़र आते हैं।

सामाजिक जागरूकता से संबंधित, एक सेमिनार मे भाग लेने के बाद नमिता, वापस अपने शहर की भागदौड़ मे शामिल होने के पहले,सुकून के पलों के साथ ,ट्रेन की खिड़की से अंदर और बाहर की गतिविधियों को, बारीकी से देखने मे लगी हुयी थी।

परिधान से लेकर बोलचाल,बात व्यहवार ,हर एक चीज कुछ कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही बदलते जाते हैं।

शायद सड़क मार्ग या रेल यात्रा ही, इन सब विविधताओं को पास से देखने का,सबसे अच्छा जरिया होते हैं।

नमिता अपने विचारों मे डूबते उतराते हुए सोच रही थी कि,समाज मे परंपरा,संस्कृति और सभ्यता को सहेजना,और अगली पीढ़ी को सौंपने का दायित्व केवल और केवल, स्त्री समाज का ही क्यों रहता है।

पुरूष अपनी भागीदारी सामान्यतौर पर, इसमे नगण्य ही रखना चाहते हैं।

लेकिन किसी की वेशभूषा पर, अपनी टिप्पणी देने मे ,महिलाओं को भी पीछे छोड़ते हुए नज़र आते हैं।

अचानक से उसके कानों को महीन सी आवाज सुनाई पड़ी,आपकी लोअर बर्थ है क्या?

उसके सामने नवविवाहिता तो नही,लेकिन बीते हुए एकाद साल पहले का शादीशुदा जोड़ा खड़ा था।

उनकी आवाज और उनकी भावभंगिमा मे विनम्रता के साथ-साथ निवेदन भी था।

आगे की बात को पुरूष ने आगे बढ़ाया,असल मे रहते तो हम महानगर मे हैं,लेकिन परिवार के संस्कार और पहनावे की बाध्यता ने मेरी पत्नी को, साड़ी पहनने के लिए मजबूर किया।

सफर मे मिली अपर बर्थ ने, हमारी परेशानी को और बढ़ा दिया।

आप अपनी बर्थ, हमारी बर्थ से चेंज कर लीजिये, प्लीज !

उस युवती की परेशानी,उसके चेहरे से झलक रही थी।

नमिता के हाँ मे जवाब देते ही,पति पत्नी दोनो ही चिंतामुक्त होकर आराम से बातें करने मे जुट गये।

जबरजस्ती धोपे जाने वाले परिधान या विचार, व्यक्ति की सोच को भी बदल सकते हैं क्या?

साड़ी पहनकर या दुपट्टे के साथ सलवार सूट पहनकर कोई महिला, समाज मे बहनजी ही जानी जाती है?

या सुलझे हुये और आधुनिक विचारधारा के साथ, कदम से कदम मिलाती नज़र आती है।

क्या परिधान सफलता के मार्ग मे बाधक बनते हैं?

जींस पैंट्स,छोटे कपड़ों को पहनने वाली हर स्त्री या लड़की,आधुनिक विचारधारा को साथ लेकर ही जीवन के सफर मे आगे बढ़ती है,या सिर्फ भेड़चाल को अपनाती है?

इसतरह के सवाल हमेशा से नमिता को उलझाते थे।

व्यक्ति का अहम्,परिवार की प्रतिष्ठा की बात,धर्म और संप्रदाय की आड़ मे लड़कियों और महिलाओं को लबादों मे लपेटकर, सार्वजनिक स्थानों पर जाने की अनुमति देना,पुरुष प्रधान समाज का एक और चेहरा दिखाता है।

अचानक से उसकी नज़र सामने बैठे हुये जोड़े पर पड़ी ।

सफर कै दौरान ज़रा सी अव्यवस्थित होती हुई साड़ी,सामने बैठे और आते जाते हुये लोगों की

चुभती हुयी नज़रों का सामना करती हुयी युवती,समय समय पर खुद को असहज सा महसूस कर रही थी।

ढीठता वाली मुस्कान के साथ पुरुष प्रधान समाज, जिनके लिये सफर के दौरान ,इस तरह के पलों को मनोरंजन का साधन बना लेना,हमारे समाज मे बड़ी आम सी बात लगती है।

सफर के दौरान धीरे धीरे वो पति पत्नी भी, नमिता के सफर के अच्छे साथी बन गये,लेकिन शालीन और सुविधाजनक पहनावे की बात पर, अपने परिवार के कट्टरपन के सामने ,आम भारतीय परिवार के समान ही, संबंधों को प्राथमिकता देते हुये लगे।

नमिता एक बार फिर से, ट्रेन की खिड़की से बाहर के नजारे को देखने मे मशरूफ हो गयी ।

लंबी लंबी सांसो को खींचते हुये ,अपने चेहरे पर उलझन भरी मुस्कान को आने से न रोक पायी।

बड़ा अजीब सा है न हमारा समाज! कहीं इतना दिखावा,आधुनिक पहनावा,नशे मे डूबा हुआ समाज।

इतनी स्वतंत्रता कि, परिवार और समाज भी अंधी राह पर भागता दिखाई दे।

कहीं सामाजिक रूढ़िवादिता और परिधान के दायरे मे भी, अनचाही नज़रों से स्त्री समाज बच न पाये ।

रेल यात्रा के दौरान सेमिनार के विषय पर सोचने लगी। “स्त्रियाँ और समाज”पर अपने पेपर की प्रस्तुति और प्रश्नोत्तर के दौरान किये गये तमाम सवालों के समंदर मे,शिक्षित और अशिक्षित दोनो ही तरह के समाज को तराजू के पलड़ों पर तौलती हुयी, अपनी विचार श्रृंखला के साथ,नमिता अपनी रेल यात्रा को पूरा कर रही थी।

Hindi fiction
0 comment
0
FacebookTwitterPinterestEmail
2974shikhat

previous post
बात कागज और कलम की
next post
यात्रा के दौरानअनसुलझा सा सवाल

You may also like

Ek Kopal Se Mulakaat

September 10, 2020

Krishna janmashami podcast

July 22, 2020

बाल मनोविज्ञान और बेलगाम आवेग

October 10, 2019

त्योहार के रंग,विदाई और मिलन के संग

October 8, 2019

शहीदों की शहादत को सलाम

July 26, 2019

बात उपयोगी मिट्टी की

July 22, 2019

गोत्र और पर्यावरण संरक्षण की बात ,गुमशुदा मानसून...

July 15, 2019

भारतीय राजनीति का, नया अध्याय

July 12, 2019

रेगुलेटर या नियंत्रक!

June 25, 2019

विश्व पर्यावरण दिवस और ,वायु प्रदूषण की बात

June 5, 2019

About Me

About Me

कहानी का दूसरा पहलू मेरी दुनिया में आपका स्वागत है

मेरे विचार, और कल्पनाएं… जीवन की छोटी-छोटी बातें या चीजें, जिनमे सामान्यतौर पर कुछ तो लिखने के लिये छुपा रहता है… एक लेखक की नज़र से देखो तब नज़र आता है … उस समय हमारी कलम बोलती है… कोरे कागज पर सरपट दौड़ती है.. कभी प्रकृति, कभी सकारात्मकता, कभी प्रार्थना तो कभी यात्रा… कहीं बातें करते हुये रसोई के सामान, कहीं सुदूर स्थित दर्शनीय स्थान…

Popular Posts

  • 1

    The story of my Air conditioners

    September 10, 2016
  • 2

    विचार हैं तो लिखना है

    October 4, 2020
  • 3

    उत्तंग ऋषि की गुरुभक्ति (भाग1)

    November 11, 2020
  • PODCAST-जंगल का साथ बहुत सारी बात

    October 13, 2017
  • 5

    “कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत सारी शुभकामनायें”

    August 12, 2020

Related Posts

  • Ek Kopal Se Mulakaat

    September 10, 2020
  • Krishna janmashami podcast

    July 22, 2020
  • बाल मनोविज्ञान और बेलगाम आवेग

    October 10, 2019
  • त्योहार के रंग,विदाई और मिलन के संग

    October 8, 2019
  • शहीदों की शहादत को सलाम

    July 26, 2019

Keep in touch

Facebook Twitter Instagram Pinterest Youtube Bloglovin Snapchat

Recent Posts

  • The story of my Air conditioners

  • कथा महाशिवरात्रि की

  • माँ अब नही रहीं

  • सैरऔर चिर परिचित चेहरे

  • बदलेगा क्या हमारा शहर ?

  • समझो तो पंक्षी न समझो तो प्रकृति

  • पुस्तकालय

Categories

  • All (211)
  • Audio Stories (24)
  • Daily Life (135)
  • Motivation (47)
  • Mythology (16)
  • Nature (33)
  • Poems (61)
  • Political Satire (2)
  • Short Stories (184)
  • Spirituality (20)
  • Travel (25)
  • Women's Rights (8)
  • Facebook
  • Twitter
  • Instagram

@2019-2020 - All Right Reserved Life and It's Stories. Designed and Developed by Intelligize Digital India