शहर कोई भी हो ध्यान से देखिए
तो दिखता है खास……
जिस शहर में रहिए उस शहर से
जुड़ते जाते हैं व्यक्ति के ज़ज्बात……..
हर शहर का होता है अलग इतिहास…….
महानगरों की तरफ देखो तो इनका इतिहास
ज़रा दमदार नज़र आता है…….
खूबसूरत इमारतों से सजी हुई दिल्ली के इतिहास को
यह महानगर इमारतों के जरिए
ही सुनाता जाता है……..
दिल्ली शहर के हर एक कोने में खड़ी ऐतिहासिक इमारतें
अपनी कहानी कहती जाती हैं……
मुगल शासकों ने राजधानी के रूप में
आगरा की प्राथमिकता को खत्म कर के
दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया और इमारतों से सजाया……
दूसरी तरफ अंग्रेजों का कलकत्ता से मोहभंग हुआ……
उन्होंने दिल्ली को राजधानी के रूप में चुना……
चारों तरफ भव्य इमारतों का जाल बुना…..
महाभारत काल के समय की भी झलक
यहां दिख जाती है…….
आज की दिल्ली पांडवों के समय में
इन्द्रप्रस्थ के नाम से जानी जाती रही है…..
प्राचीन किले और इमारतें कुछ तो संरक्षित हैं
तो कुछ ढह गये…..
कुछ समय की मार के चलते जमीन के नीचे दब गये….
पुराने किले में तो पांडवों के समय के प्रतीक चिन्ह
खुदाई के दौरान नज़र आते हैं…..
यह शहर मौर्य शासकों की बात भी कहता है….
खुदाई के दौरान मौर्य काल के समय की
ईंटों और दीवारों को दिखाता है…..
मुगलों के आगमन के पहले ….
हिंदू शासकों के अंतिम शासक
पृथ्वीराज चौहान की बात…..
किला राय पिथौरा के जमीन के अंदर
दबे हुए अवशेष और दीवारें बोलती हैं…..
दिल्ली का ताज अलग-अलग शासकों के
मस्तक पर सजता रहा……
हर शासक अपनी आन ,बान और शान के मुताबिक
इमारतों का निर्माण करता रहा…..
किसी ने नव निर्माण कराया…..
किसी ने पुराने किले और इमारतों को खंडित कर
इमारतों की पुरानी पहचान मिटा कर
अपनी ताकत को दिखाया…..
चाहे हिन्दू शासक हो ,मुगल हो ,या हों अंग्रेज
हर किसी ने शहर-ए-दिल्ली को सजाया है…..
हरियाली के बीच में स्थित मक़बरे ,मस्जिद हो
या हो कुतुब मीनार या लाल किला…
सभी को इनकी कलात्मकता, वास्तुकला और
भव्यता ने विश्व धरोहर में शामिल कराया है…..
ब्रिटिश हुकूमत के समय की इमारतें
भी अपनी कहानी कहती दिखती है….
लार्ड इरविन के द्वारा नई दिल्ली को भारत की
राजधानी घोषित करते ही….
दिल्ली शहर की काया पलट होते हुए दिखती है….
तत्कालीन वायसराय हाउस कल्पना से परे दिखता है…..
वर्तमान में वही राष्ट्रपति भवन कहलाता है….
इसके गुंबद हो या हो जालियां
उच्च कोटि की वास्तुकला दिखाते हैं……
रायसीना हिल की पहाड़ी पर स्थित राष्ट्रपति भवन…..
संसद भवन,विजय चौक, इंडिया गेट के साथ
राजपथ के सौंदर्य को भी बढ़ाता है…..
ब्रिटिश शासन काल के समय
पहले विश्वयुद्ध के साथ शुरू हुआ निर्माण कार्य……
दिल्ली को राजधानी का ताज मिलने के बाद भी जारी रहा…..
देखते ही देखते कुछ दशकों में अनेक
भव्य इमारतें खड़ी हो गईं…..
ब्रिटिश वास्तुकला की बात करो तो
सिर्फ लुटियंस की दिल्ली ही सामने आती है…..
तमाम सरकारी इमारतों और बंगलों को हरियाली से
सजाती और संवारती दिख जाती है……
पुरानी और नई दिल्ली की यात्रा पर निकलने पर
ऐतिहासिक इमारतें अलग-अलग रंगों से
रंगी हुई दिखती हैं……
ऐसा लगता है मानो हर शासक ने
शहर-ए-दिल्ली को दिल से अपनाया है……
अपनी अपनी वास्तुकला और कलात्मकता का उपहार
दिल्ली शहर को दे कर, शहर का मान बढ़ाया है…….
(सभी चित्र इन्टरनेट से)
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Very informative
Thanks 😊