गुजरे हुए कल की ही तो बात है…..
नये दिन के साथ, आँखो को खोलते ही, महसूस हुआ
आज तो शांत सी सुबह है….
न ज्यादा हलचल,न ही कोलाहल
न भागादौड़ी, न आपाधापी….
बात क्या है,कुछ पल तो,समझ मे ही न आया….
तब दिमाग ने होश मे आकर बताया….
आज तो, रविवार की सुबह है…..
हर तरफ निस्तब्ध सी खामोशी…..
शायद आने वाले कल मे ……
सोमवार की भागादौड़ी की, शुरुआत की भी थी उदासी…..
मंद मंद बयार के बीच ,आराम की सुबह है…..
सड़कों पर दूर दूर तक न था
गाड़ियों का रेला……
न तो दिख रहा था ,दौड़ते भागते
इंसानों का मेला…..
तब याद आया….
आज ही तो भागादौड़ी से दूर…..
सुकून की तलाश की सुबह है…..
पशु पक्षी भी आरामतलबी के
अंदाज मे नज़र आ रहे थे……
राह मे जहां मन किया
वहीं पर, आराम फरमा रहे थे…..
आकाश की तरफ नज़रों को फेरा……
नीला आकाश,अपनी आदत के मुताबिक
शांत नज़र आ रहा था……
श्वेत बादलों का समूह
सौम्यता दिखला रहा था…..
रविवार का प्रभाव पूरी तरह से
आकाश के ऊपर भी, नज़र आ रहा था…
सूरज भी आलसी इंसानों की तरह ही
आरामतलबी के अंदाज मे,सुस्त दिख रहा था…..
दैनिक जरूरतों का सामान खरीदने के लिए…..
सुबह सुबह, घर से निकलते ही…..
पवन की गति भी,आलस्य को संजोयी
हुई लगी…..
इसी कारण वातावरण मे, आद्रता भी महसूस हुई……
दूर दूर तक फैली हुई सड़कें भी,सुस्त सी नज़र आयी…..
आलसी अंदाज़ मे, हमारी तरफ देखकर मुस्कुरायी…..
बोली !सुबह सुबह ही आप,अपनी गाड़ी के साथ क्यों निकल पड़ीं ?
सप्ताह के एक दिन तो हमे भी,आराम करने दीजिए……
अब रविवार की सुबह !
आपको इतनी सुबह,निकलने की क्या पड़ी ?
मैने आगे पीछे,अगल बगल चारो तरफ…..
अपनी नज़रों को घुमाया था….
रोज की भागादौड़ी और रेला……
लगता है अभी तक
नींद के आगोश मे समाया था…..
मैने सोचा चलो, अपनी सुबह की ऊर्जा को
यहीं संजोते हैं…..
सुस्त,कामचोर और आलसी सी
रविवार की सुबह का हाल….
अपनी कलम की जुबानी ही लिखते हैं….
(सभी चित्र internet से )
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Achcha lekh
धन्यवाद 😊