रंगों का त्यौहार लाता है
खुशियों की सौगात……
मन की उमंग और उल्लास को
शब्दों में बांध दिया…..
गुझिया हो लड्डू हो अबीर हो
या हो रंग गुलाल…..
इन सभी को बंधे हुए शब्दों के
साथ लिया……
रंगों से भरा हुआ गुब्बारा भी मचल गया……
फटते ही रंग बिरंगे रंगों से बच्चों को रंग गया….
रंगकर मन को होली के रंगों से……
भुलाकर वैमनस्य और मन के भेदों को….
होली की शुभकामनाओं को शब्दों के
रंग से रंग दिया…
बच्चों का उत्साह थमता नहीं दिखता….
बच्चा हो बूढ़ा हो या जवान…
गुब्बारे या पिचकारी से बचता हुआ
नही दिखता…..
त्यौहारों के समय बच्चों का उल्लास
मन को भाता है….
बचपन का यही समय तो भविष्य में
हमारे पारंपरिक त्यौहारों की विरासत को
संभालता दिखता है…….
पिचकारी रंग और गुब्बारे…..
बच्चों के साथ अपनी दोस्ती निभा रहे….
मौसम का मिजाज कैसा भी हो….
ये बच्चों के साथ कदम से कदम मिला रहे….
मस्ती में दिख रही बच्चों की टोली…..
सुबह की नोंक-झोंक शाम होते ही भूली…
सुनाई पड़ रही चारो तरफ हंसी और ठिठोली…..
और कुछ नही बस यही तो है, गुझियों की मिठास के साथ
हमारी पारंपरिक होली….
आप सभी को होली की ढेर सारी शुभकामनाएं 😊😊
(चित्र इन्टरनेट से)
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Wish you too a very happy Holi with beautiful feelings depicted in your poem
Thanks☺
आपको भी बहुत बहुत बधाई। मुझे इस रंगीन त्योहार का इंतजार हमेशा रहता है।