January 31,2017
बसंत पंचमी के आते ही आँखों के सामने, सरस्वती पूजन की सारी तैयारी घूमने लगती है ।
एक बार फिर से एक दिन पहले से ही खुद के भीतर, उत्साह समा गया सरस्वती जी की आराधना को लेकर I
सुबह-सुबह जल्दी-जल्दी सारी तैयारी कर के,बेसन के हलवे का प्रसाद तैयार कर,बेटियों को पूजा करने के लिये कहा ।
उन्होंने अपनी छोटी सी बुद्धि के अनुरूप, अपने स्कूल की प्रार्थना ” मातु शारदे कृपा वारदे” बड़े मधुर स्वर मे गाया ।
उनके मुंह से मीठे – मीठे स्वर मे प्रार्थना सुनने के बाद, अब मेरी भी बारी थी प्रार्थना करने की
मेरे अंर्तमन ने अपने ही शब्दों मे विद्यादायनी की आराधना की
हे वीणाधारिणी माँ !
स्वीकारो न मेरा भी प्रणाम
हे स्वर की देवी !
तुम्हें शत् शत् मेरा प्रणाम
देना हमेशा आँखो को उजाला
दूर करना हमेशा सारा अँधियारा
हे हंसवाहिनी माँ !
स्वीकारो न मेरा भी प्रणाम
जो भी दिया माँ तूने वो किया है
पूरे सर्मपण से मैने स्वीकार
हे ज्ञानदायिनी माँ !
स्वीकारो न मेरा भी प्रणाम
कराना न मेरी लेखनी या वाणी से कभी भी
किसी का भी अपमान
हे अम्बे माँ !
स्वीकारो न मेरा भी प्रणाम
रहेगी पूरी कोशिश हमारी
रहूँ हमेशा शरण मे तुम्हारी
हे माँ चंद्रकांति !
स्वीकारो न मेरा भी प्रणाम
दे दो न सभी को इतना तो ज्ञान
स्वीकारें सभी अधीनता तुम्हारी
हे माँ बुद्धिदात्री !
स्वीकारो न मेरा भी प्रणाम
ज्ञान के इस उजियाले मे
देना न कभी जरा सा भी अभिमान
हे वीणावादिनी माँ !
स्वीकारो न मेरा भी प्रणाम
की है आराधना पूरी श्रद्धा से तुम्हारी
हे वागीश्वरी माँ !
स्वीकारो न मेरा भी प्रणाम
पकड़ी है कलम! आदेश से ही तुम्हारे
है तुम्हारे ही हाथों मे अब लाज हमारी
हे ब्रम्हचारिणी माँ !
स्वीकारो न मेरा भी प्रणाम
देना कम से कम इतना तो ज्ञान
कर सकूं विवेक से इतना तो काम
जनमानस की भीड़ मे कर सकूं
दुर्जनों और सज्जनो की सही पहचान
हे वरदायिनी माँ !
स्वीकारो न मेरा भी प्रणाम
कर दो न सब का मन निर्मल
रख दो परे, राग द्वेश से चंचल मन
हे जगती माँ ! स्वीकारो न मेरा भी प्रणाम
कर दो न मन को इतना सशक्त
महसूस न करे खुद को अशक्त
हे कुमुदी माँ !
स्वीकारो न मेरा भी प्रणाम
सदा रखना मेरे मस्तक पर स्नेहमयी अपना हाथ
हे विद्यादायिनी माँ !
स्वीकारो न मेरा भी प्रणाम
मेरे मन मंदिर मे बना लो न हमेशा के लिये अपना निवास
हे शारदे माँ !
स्वीकारो न मेरा भी प्रणाम
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Excellent!!
धन्यवाद 😊