सुनी है हमेशा से बड़े बुजुर्गों के
अनुभवी मुख से यह बात……
रसोई से जुड़े होते हैं….
परिवार और रिश्तों के तार….
रसोई का होता है अगर साथ तो….
अक्सर बन जाती है बिगड़ी हुई बात…..
खाना बनाना और खाना शरीर के प्रति
बस एक जिम्मेदारी ही नही होती…..
प्यार और देखभाल का, फसाना होता है….
रसोई का काम बोझ है….
शायद गलत यह सोच है….
हर किसी का रसोई के बारे मे
अलग-अलग विचार है….
कोई रसोई मे जाने के नाम से परेशान है …..
कोई रसोई के साथ खुशहाल है…..
किसी के लिए रसोई का साथ
सिर्फ दो रोटी की बात…..
दूसरी तरफ किसी के लिए…..
विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का
रसोई के साथ स्वाद…..
नन्हे बच्चों को रसोई मे रखे हुए तमाम
सामान आकर्षित करते हैं…..
कहीं सामान को फैलाते तो कहीं
सजाते संवारते हुए से दिखते हैं ……
जीवन की बेहतरीन बातें सिखा जाती है, रसोई …..
रिश्तों को प्यार से जोड़ना……
जीभ के साथ स्वाद का साथ निभाना….
सिखा जाती है,रसोई…..
अनाज की अहमियत……
रसोई के माध्यम से ही
नई पीढ़ी सीख सकती है……
धरा की उपयोगिता और
प्रकृति की उदारता सिखाती है,रसोई …..
खेल खेल मे ही बच्चे ….
सब्जियों के आकार प्रकार और
रंगों से परिचित होते हैं…..
चकले पर घूमती हुई रोटी को, आश्चर्य के भाव से
देखते हैं……
खुद भी उत्सुकतावश रसोई के साथ
जुड़ते हैं…..
अग्नि देवता के प्रति सम्मान सिखाती है, रसोई….
मानो या न मानो सेहत और स्वस्थ समाज की
धूरी होती है ,रसोई….
(सभी चित्र internet से )
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