ब्रम्हाण्ड की पहेलियां सुलझाते सुलझाते
कुछ सुलझी कुछ अनसुलझी पहेलियों के साथ सितारा सिमट गया…..
अलविदा स्टीफ़न हॉकिंग और सितारों में जा मिला सितारा
जैसी खबरों ने अद्भुत और आश्चर्यजनक क्षमता वाले वैज्ञानिक के बारे में
जानने के लिए उत्सुकता जगा दिया…..
वाक्यों में पिरोए हुए शब्दों के द्वारा श्रृद्धांजलि अर्पित करा दिया….
मानसिक दृढ़ता और आत्मविश्वास सबसे बड़ा बल होता है…
इन दोनों ने ही मिलकर शारीरिक व्याधियों के कारण उत्पन्न
अवसाद को भी हरा होता है…..
स्टीफ़न हॉकिंग ने इस बात को सही साबित कर दिया….
सारे विश्व ने अश्रुपूरित नज़रों से सम्मान के साथ
भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित किया…..
विज्ञान भी अबूझी हुई सी पहेली होती है….
अबूझी पहेली ही स्टीफ़न हॉकिंग जैसे वैज्ञानिकों की
सहेली होती है…..
विज्ञान और वैज्ञानिकों के योगदान के बिना
ब्रम्हाण्ड की तमाम गुत्थियां या तो उलझी हुई रहती हैं….
या दुनिया उनके बारे में गलत धारणा पाल कर बैठी होती है……
स्टीफ़न हॉकिंग का यह दृढ़ता से मानना था कि
मानव सभ्यता का तब तक कोई भविष्य नहीं जब तक की
मानव सभ्यता अंतरिक्ष का भ्रमण नहीं करती….
आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस को सदी की सबसे बड़ी खोज के साथ
मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया…..
बच्चों का बचपन से ही मेधावी होना
अच्छे नंबर लाना , जीवन में सबसे महत्वपूर्ण नही होता….
अगर व्यक्ति के अंदर क्षमता और दृढ़ता है…..
तो इंसान जीवन की राह में अपनी काबिलियत को
शारीरिक अक्षमता के साथ भी सिद्ध कर सकता है……
इस बात को स्टीफ़न हॉकिंग का जीवन बताता है…..
सामान्य तौर पर वैज्ञानिक सोच भी हमेशा से यही कहती रही है कि
सृष्टि का कोई न कोई रचयिता अवश्य होगा
अन्यथा इतनी जटिल रचना पैदा नही हो सकती…..
स्टीफन हॉकिंग ने ब्रम्हाण्ड की रचना और ब्लैक होल तथा
बिग बैंग सिद्धांत में अपना विशेष योगदान दिया…..
इस सिद्धांत के अनुसार अरबों साल पहले सारे भौतिक तत्व
और ऊर्जा एक बिंदु में सिमटे हुए थे,फिर इस बिंदु ने फैलना शुरू किया….
ब्रम्हाण्ड का लगातार विस्तार हो रहा है……
इसका मतलब ब्रम्हाण्ड कभी सघन रहा होगा…..
स्टीफ़न हॉकिंग ने ब्रम्हाण्ड की घटना को
ऊर्जा से उत्पन्न घटना मानते हैं…..
ऐसा कहते हुए उन्होंने ईश्वरीय सत्ता को भी
चुनौती दे दिया…..
जिस व्यक्ति को चिकित्सा विज्ञान ने सिर्फ
दो साल जीने के लिए दिये……
उस व्यक्ति ने शारीरिक अक्षमता के साथ
मानसिक शक्ति के बलबूते पर लंबी और
विज्ञान के लिए उपयोगी जिंदगी जी कर दिखाया…..
स्टीफ़न हॉकिंग के शब्द शारीरिक अक्षमता के साथ
जीवन जीने वालों के लिए प्रेरणा का काम करते हैं…..
“मैं मरने से नही डरता, लेकिन मरने के लिए जल्दबाजी भी नही करता
मेरे पास बहुत कुछ ऐसा है ,जो मै मरने से पहले करना चाहता हूं”….
विज्ञान की अनसुलझी पहेलियों को सुलझाना चाहता हूं…..
जिंदगी कितनी भी मुश्किल क्यूं न हो….
आपके पास कुछ न कुछ करने और कामयाब होने की
गुंजाइश हमेशा रहती है…..
(चित्र इन्टरनेट से)
0 comment
Inspirational and motivational post.
Thanks ☺