समाज में रहते हुए हमेशा निभाना पड़ता है
सामाजिक शिष्टाचार……
सामाजिक दायरे में संबंध निभाने के लिए
गर्मजोशी के साथ चाय को भी रखा जाता है याद……
सोचिए अगर ध्यान से कैसे
चाय हमारी जरूरत के साथ साथ
सामाजिक ताने-बाने से जुड़ गयी……
हमारी दैनिक आदतों के अलावा विशेष आयोजनों
के साथ भी घुल-मिल गयी …….
पढ़िए अगर भारत में चाय के इतिहास से संबंधित बातों को……
तो हमारे देश में सबसे पहले यह अंग्रेजों की नज़र में आयी……
असम में जंगली झाड़ियों के रूप में फली-फूली दिखी…..
स्थानीय कबाइली लोगों के हाथों में औषधी पेय के रूप में दिखी…..
चाय से घनिष्ठता के साथ परिचय भारतीय समाज का
अंग्रेजों के समय में ही हुआ….
सामान्य तौर पर हर कोई मानता है इसे
ईस्ट इंडिया कंपनी की सौगात…..
इसके पहले भारतीय समाज और चाय का
नहीं था रोजमर्रा का साथ……
अंग्रेजों के द्वारा असम की भूमि पर चाय के पौधे का
उत्पादन परीक्षण के रूप में व्यापारिक पैमाने पर किया गया…….
हमारी जमीन पर उगते हुए भी चाय शुरुआत में
सामान्य जनमानस से दूर रही……
देखते ही देखते ईस्ट इंडिया कंपनी की सौगात बन कर
असम के बागानों में जल्दी से फल और फूल गयी……
शुरुआती दौर में इस तरह के पेय पदार्थ
हमारे समाज के अंग नहीं थे…..
भारतीय लोग दूध ,दही ,गुड़ के रस
या फलों के रस के ही संग थे……
परिचय चाय और कॉफी से ईस्ट इंडिया कंपनी
ने ही कराया था…….
इन्हीं पेय पदार्थों के बहाने अपने निहित स्वार्थ को
भारतीय समाज के साथ भुनाया था……
चाय तो आज के समय में घरों के साथ साथ
गली, नुक्कड़ों के अलावा रेस्टोरेंट्स के भी संग हो चली…….
देखते ही देखते ऐसा लगता है मानो भारतीय सभ्यता और संस्कृति
का अंग हो चली…….
चाय के बागान आज के समय में अच्छा खासा
व्यवसाय कर रहे हैं…..
चाय के निर्यातकों की श्रेणी में भारत को
आगे कर रहे हैं…..
ये चाय बागान भारत की अर्थव्यवस्था को
मजबूत कर रहे हैं……
प्राकृतिक खूबसूरती देखने के शौकीन पर्यटकों के लिए
भी ये जगहें पसंदीदा बन रही हैं…..
मौसम गर्म हो, सर्द हो या हो बारिश का…..
मिल ही जाता है चाय पीने का बहाना……
गर्म चाय नहीं चाहिए तो वर्तमान में
आइस टी के साथ भी है जमाना…..
चाय हो या हो काॅफी के साथ, माहौल खुशनुमा बन जाता है…..
महफिलें सज ही जाती हैं……
शादी ब्याह हो, या हो उत्सव का कोई भी मौका…..
चाय के साथ ने तो हमेशा से ही मारा है चौका……
(सभी चित्र इन्टरनेट से)
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A very lovely reading
Thanks 😊
चाय के बहाने हम कितने लोगों के संपर्क में आते हैं और बहुत लंबे समय के लिए जुड़ जाते हैं। ं
बिल्कुल सही बात 😊पोस्ट पढ़कर अपने विचार रखने के लिए धन्यवाद
बहुत अच्छा लिखा है mam आपने 👌👍
😊