(चित्र internet के द्वारा )
विचारों और तर्क शक्ति से प्रबुद्ध हर इंसान…
नन्हे से परिंदे को देखकर मुस्कुरा रहा था…..
राह मे चलते चलते अपनी कौतूहल वाली नज़रों से
नन्हे से परिंदे को देखता जा रहा था….
ऐसा लगा उड़ने के अभ्यास के साथ-साथ बातें
भी करता जा रहा था….
कुछ दिन पहले की ही तो बात है….
पेड़ के कोटर मे आराम फरमा रहा था…..
माँ के पंखों की गर्माहट मे आँखें बंद कर
मुनमुना रहा था…..
भोजन की तलाश मे माँ के निकलते ही
मेरा कौतूहल मुझे कोटर से बाहर ले कर आया है….
दुनिया जहान की चीजों को चारो तरफ देख रहा हूँ …..
सोचता हूँ आज ज़रा सा नर्म नर्म घाँस के ऊपर घूम लूँ …..
माँ की अनुपस्थिति मे अपने स्वाद के अनुसार
कुछ खाने पीने की चीजें ढूँढ़ लूँ …….
कूद कर देखता हूँ कि मेरे पंख जमीन से ऊपर उठते ही
खुलते हैं कि नही…..
उड़ान के लिए तैयार लगते भी हैं कि नही…..
ऊपर उठते समय भी अपनी आँखों को
जमीन पर केंद्रित रखूंगा …..
माँ की दी हुई सीख को यूँ ही अपने दिमाग से
फिसलने न दूंगा …..
पंखों के साथ-साथ पंजों की मजबूती को भी परख रहा हूँ ….
उड़ान के समय पंजों की मजबूती भी बड़ी काम आती है ….
ऊँचाई पर पेड़ों की शाखाओं को मजबूती से
पकड़ने के काम आती हैं ……..
नन्हा सा दिख रहा हूँ लेकिन अपने आप को
खुद ही जाँच और परख रहा हूँ ……
अब तो रोज की ये कहानी है……
माँ के आँखों से ओझल होते ही
तफरीह की आदत डाली है…..
माँ के अनुसार जगह जगह हानिकारक जीव जंतुओं
का डेरा होता है……
इसलिये मेरा सजग रहना भी जरूरी होता है…..
बस आज का मेरा अभ्यास पूरा हुआ ……
लगता है आकाश मे सबेरा हुआ ……
चलता हूँ जल्दी ही फिर मिलता हूँ …..
तब तक कुछ समय के लिये ही सही…
अपने अभ्यास के संघर्ष को देता हूँ , ज़रा सा विराम…..
पंखों और पंजों को देता हूँ , ज़रा सा आराम ……
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Just beautiful .
Thanks☺