जीवन का हर एक दिन अलग होता है…..
हर सुबह इंसान नयी उम्मीद,आशा और विश्वास
के साथ अपनी आँखों को खोलता है…..
इंसान वही होता है, लेकिन विचारों का सिलसिला
कभी दायरे मे,तो कभी अनंत होता है…..
इंसान कभी किंकर्तव्यविमूढ़, तो कभी
आत्मविश्वास से भरा नज़र आता है…..
मानो या न मानो जीवन वास्तविकता में
अंकों का खेल होता है…..
बात करो यदि खगोलविज्ञान की….
बात करो यदि ज्योतिषविज्ञान की….
अंक वहाँ पर भी अपनी अहमियत दिखाते हैं….
व्यक्ति के भविष्य को अंकों के खेल मे…..
कभी सुलझाते तो, कभी उलझाते नज़र आते हैं……
बात करो यदि शून्य की तो….
इतिहास के पन्ने शून्य की खोज के बारे मे
भ्रमित करते हैं…..
कभी ईसा से दो सौ वर्ष से भी पुराना
शून्य का इतिहास बताते हैं…..
कभी भारत के स्वर्णकाल, अर्थात गुप्तकाल में
बनी इमारतों पर,अन्य अंकों के साथ शून्य को दिखाते हैं…..
युनानी दार्शनिक आकाश को तत्व नही मानते थे….
उनके अनुसार आकाश जैसा कुछ भी नही….
भारतीय दार्शनिकों के अनुसार जो नही है…
जैसा दिखाई देता है वही शून्य है….
सामान्यतौर पर भारतीय ऋषि आर्यभट्ट के साथ
शून्य को जोड़ा जाता है…..
बौद्ध काल मे भी कई संवाद शून्य को लेकर
पता चलते हैं….
बौद्ध काल के कई मंदिरों पर शून्य के
चिन्ह अंकित दिखते हैं…..
भारत के शून्य ने बड़ा लंबा सफर तय किया है…..
अपने सफर मे कहीं “सिफर” तो
कहीं “जीरो”के नाम को ग्रहण किया है……
दार्शनिकता से अलग हट कर
यदि शून्य की बात करो तो…..
गोल मटोल सी छोटी सी आकृति
आंखों के सामने नज़र आती है…..
यूँ ही देखने पर, महत्वहीन सी नज़र आती है…..
मनुष्य का जीवन दृश्य या अदृश्य रूप से
शून्य से जुड़ा होता है…..
संख्याओं के खेल मे,अगर शून्य अकेला रहा तो
स्कूल की कापियों और,परिक्षा के परिणामों के समय
काम गड़बड़ कर जाता है……
किसी भी परिक्षा मे ज्ञान के स्तर की बात
अपनी उपस्थिति से बता जाता है…..
चला अगर हिलता डुलता हुआ…..
किसी संख्या के दाहिनी तरफ बैठ गया…..
अपना अलग ही महत्व बता जाता है…..
संख्याओं के खेल मे, आश्चर्यजनक परिणाम दिखा जाता है…..
ये अनंत ब्रम्हाण्ड भी तो शून्य को ही दर्शाता है…..
आकाश को देखो तो, सूरज और चांद भी शून्य को
धारण किये नज़र आते हैं……
ध्यान से देखने पर अनंत सागर मे डूबे हुए से
नज़र आते हैं……
व्यक्ति की विचारशीलता भी कभी-कभी
शून्य की तरफ खींच ले जाती है…..
शून्य मे ब्रम्हाण्ड का रहस्य रिक्तता के
बीच मे समाया है……
ये सिर्फ आकृति और अंकों का खेल नही है…..
शून्य ही तो है, जिसने अभी तक विचारकों ,गणितज्ञों
खगोलशाष्त्रियों को अंको के खेल मे उलझाया हुआ है ….
(सभी चित्र internet से )
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शून्य को इतने अलग अलग तरीके से शायद ही किसी ने बताया होगा।