मचा हुआ है चारो तरफ हाहाकार….
ये क्या हो गया आकाश का हाल…..
हर कोई हो रहा है,चलती हुयी राह मे बेहाल….
अब मत पूछो इंसानों के साथ-साथ पशु,पक्षियों का हाल…..
कहाँ खो गया,आकाश का वो नीला सा रंग…..
सफेद सा मुँह लिये ये सूरज भी घूम रहा…..
ऐसा लगता कि,अपने संतरी से रंग को चारो दिशाओं मे ढूँढ़ रहा…..
रात मे धुन्धला गया चाँद…..
दिखते नही टिमटिमाते हुए तारे और आकाश साथ साथ…..
ठिठुरती हुयी सर्दी के आने से पहले ही
कुहरे की आहट सी लगी…..
बाहर निकल कर देखा तो
धोखे की चादर सी दिखी….
हवा मे हल्की सी सिहरन तो थी….
लेकिन ये तो कुहरे की चादर न थी….
ऐसा लगा शरीर मे धुआँ सा भर गया…..
आँखों मे जलन के साथ साँसों को थामने सा लग गया….
ये हमारे शहर को आज क्या हो गया…..
दौड़ता भागता हुआ शहर ज़रा सा थम गया…..
प्रदूषण के खतरनाक स्तर ने ही इस खतरनाक
चादर को बिछाया है…
लोगों ने इस का नाम “स्माॅग”बतलाया है….
प्रदूषण के कारण आने वाली इस मुसीबत ने
कर दिया है हर जीवन को परेशान…..
खुद के घरों से ही करनी होगी एक नयी शुरुआत…..
खोजना होगा प्रदूषण की समस्या का हर स्तर पर निदान……
घरों मे खुली बालकनी और हरियाली को जगह देना होगा……
काँच का ज्यादा इस्तेमाल भी प्रदूषण को बढ़ाता है…..
ईंटों की दीवारों और लकड़ियों के दरवाजों को मुँह चिढाता है…..
बैठ कर एयर कंडीशनर गाड़ियों, दफ्तरों और घरों मे
प्रदूषण हटाओ के नारे बनाये जाते हैं…..
इस तरह की चीजों को देखकर प्रकृति अपनी
दुर्दशा पर तिलमिला गयी…..
दुखी मन से अपना दर्द कहने लग गयी….
क्यूँ करते हो मेरी दी हुई चीजों का नाश….
चाहे शरीर हो,धरती हो,जल हो या आकाश….
हिला दिया प्रगति के नाम पर तुम लोगों ने मेरी जड़ें…..
अब रोते हुए इस जहरीले धुएँ की धुंध के बीच मे खड़े…..
साँसों के साथ संघर्ष मे दिखाई दे रहा है
चारो तरफ जीवन…..
अब ऐसी प्रगति किस काम की
जिसका उद्देश्य हो खतरे मे डालना जीवन…..
( समस्त चित्र internet के द्वारा )
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बिल्कुल सही बात कही है आपने।
मेरी पोस्ट को पढ़कर अपने विचार देने के लिए धन्यवाद 😊