हरियाली से भरपूर क्यारियों में घूमते हुए
अचानक से बाड़ की तरफ नज़र फिर गई……
बाड़ के रूप में लगी हुई झाड़ ज़रा सी
चिरपरिचित सी नज़र आयी….
सदाबहार झाड़ियों के रूप में हरी हरी
पत्तियां मुस्करा रही थीं…..
पास में खड़े होने पर अपनी भीन्हीं सी महक से
ही अपना नाम मेंहदी बता रही थी…..
छोटे-छोटे फूल भी पत्तियों के बीच में से नज़र आ रहे थे…..
वो भी पत्तियों के साथ मिलकर वातावरण को सुगंधित करते जा रहे थे……
झाड़ियों की खुशबू और मेंहदी रचे हुए हाथों ने
दिमाग को सोच और विचार करने पर मजबूर कर दिया……
कितना उपयोगी और गुणों से भरपूर यह पौधा होता है……
पत्ती ,फल ,फूल ,छाल सभी में औषधीय गुण भरपूर होता है……
सदाबहार झाड़ियां ज्यादातर बाड़ के रूप में लगायी जाती हैं……
औषधीय गुण होने के कारण श्रृंगार से लेकर स्वास्थ तक के उपयोग में आती हैं…..
सामान्य रूप से लोग मेंहदी को मुगलों की देन मानते हैं…..
मुगलों के लिए श्रृंगार के अलावा यह सजावट की वस्तु
एवम् औषधि का काम करती थी…..
भारतीय सभ्यता और संस्कृति की गहराई में उतरने पर
मेंहदी अपने अस्तित्व के बारे में बताती है……
पौराणिक कहानियों के माध्यम से मेंहदी हिन्दू धर्म के साथ भी
गहराई से जुड़ी नज़र आती है……
महिलाओं के सोलह श्रृंगार से भी जुड़ा है मेंहदी का नाम…..
मां काली के दुर्गा रूप से भी जुड़ा हुआ है मेंहदी का इतिहास…….
पौराणिक कहानी के अनुसार मां दुर्गा अपने महाकाली रुप में
राक्षसों का विनाश करते समय रक्त में डूबी नज़र आ रही थी…..
अपने इस रौद्र रूप के कारण देवताओं के अंदर भी
भय को बढ़ा रही थीं……
भगवान शिव के द्वारा मां दुर्गा को उनके रौद्र रूप का
एहसास कराने पर…..
मां दुर्गा ने अपनी इच्छा शक्ति से देवी को प्रकट किया…..
मां दुर्गा के आदेश पर देवी ने मां के
हाथ और पैरों पर औषधि बन कर श्रृंगार किया…..
खुश होकर मां दुर्गा के वरदान स्वरूप मेंहदी ,महिलाओं के श्रृंगार
और औषधि के रूप में उपयोग में आने के लिए धरा पर आयी…..
एक बार फिर से यह बात सिद्ध हो गयी कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति से
वनस्पतियां कितनी गहराई से जुड़ी हैं……
पौराणिक कहानियों के अनुसार वनस्पतियों ने
वास्तव में देवी देवताओं के रूप धरे हैं…..
महिलाओं के रूप और सौंदर्य को बढ़ाने में मेंहदी अपनी जिम्मेदारी निभाती है….
शादी ब्याह,व्रत पर्व पर हाथों में सजी नज़र आती है……
नववधू हो या लड़कियां हर किसी को सजाती संवारती दिख जाती है…..
मेंहदी हमारी संस्कृति का अहम् हिस्सा है……
भारत की हर एक भाषा में गीतकारों और शायरों ने मेंहदी के ऊपर गीत,
ग़ज़ल और शायरी लिखा है……
माखनलाल चतुर्वेदी के अनुसार…….
“मेंहदी में तस्वीर खींच ली किसकी मधुर! हथेली पर
बेच न दो विश्वास सांस को,उस मुस्कान अधेली पर
मेंहदी में तस्वीर खींच ली किसकी मधुर हथेली पर”
लगाने की शैली भारतीय हो, अरेबिक हो,इंडो अरेबिक, पाकिस्तानी
या हो मोरक्कन शैली में बनी हुई आकृति…..
खुशी, सौभाग्य और शुभ की बात बताती…..
बदलते हुए दौर में तो महिलाओं के अलावा पुरुषों को भी
मेंहदी भा रही है……
हानिकारक प्रभाव के बिना बालों को भी रंगती जा रही है……
औषधीय गुणों से भरपूर मेंहदी ठंडी तासीर के कारण
बहुउपयोगी नज़र आ रही है…….
(सभी चित्र इन्टरनेट से)
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आपके इस पोस्ट को पढने के बाद, मेहंदी के कई नैसर्गिक गुणों का पता चला।धन्यवाद।
धन्यवाद 😊