संबंध,रिश्ता,लगाव, ताल्लुक,वास्ता…..
बड़ा अजीब सा होता है,इन शब्दों से नाता…..
जीवन के सफर में चलते हुए इंसान…..
इन अलग-अलग से दिखने वाले शब्दों के
समान अर्थ से रूबरू होता है……
अपने आसपास होने वाली सजीव
तो कभी घर में रहने वाली निर्जीव चीजों
से भी लगाव महसूस करता है……..
चाहे वो कपड़े हों,फर्नीचर हो, पेड़ पौधे हों
या हों पालतू जानवर…..
हर किसी से इंसान का जुड़ जाता है,नाता…..
शायद! यही मोह और माया कहलाता है……
संबंध हो, या हो रिश्ते…..
परिवार और समाज को एक सूत्र में
बांधने का काम करते हैं…..
इंसान जीवन के सफर में अलग-अलग लोगों
से मिलता है……
मानव स्वभाव, प्रकृति का ही दिया हुआ
गुण होता है……
हर व्यक्ति अपने परिवार, समाज और परिवेश
से जुड़ा होता है…..
कई रिश्ते जन्म के साथ ही बन जाते हैं….
ये रिश्ते खून के रिश्ते कहलाते हैं…..
नन्हे शिशु के जन्म लेते ही उसका वास्ता
तमाम रिश्तों से होता है……
लेकिन वो खुद इन रिश्तों नातों से
अनजान रहता है…..
हर व्यक्ति को खुद से जुडा़ हुआ ही
महसूस करता है…..
बड़ा अजीब सा ताल्लुक शिशु और
समाज का होता है……
रिश्ते कोई भी हो हमेशा विश्वास की
बुनियाद पर ही टिके होते हैं……
चाहे वो सामाजिक रिश्ते हों, व्यावसायिक हो
या हो पारिवारिक रिश्ते……
इंसानियत, विश्वास,मानवता,दया और करुणा के
भाव से निभाया गया रिश्ता
सबसे उम्दा होता है……
नि:स्वार्थ भाव से निभाये गये रिश्ते
सच में अनमोल होते हैं……
ऊपर वाले की निगाहों से भी कहां
अनछुए रहते हैं……
हमेशा शुभकामनाओं या दुआ के रूप में
फलते और फूलते दिखते हैं……
कर सको तो ऐ ईश्वर! इतना भला करना…..
इंसानियत, विश्वास,मानवता,दया और करुणा के भाव
से निभाये गये रिश्ते नातों को, अपनी छांव में रखना…..
(सभी चित्र इन्टरनेट से)
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khubsurat kavita ……..insan ki daya, karuna aur prem hi hai jo ishwar ne dekar bheja hai……baaki chhal,kapat jaise anya sonch to yahan aakar sikha hai…..rishton ki dor bahut hi najuk hoti hai……bahut sahajta se darshaayaa hai.
मेरी कविता को सराहने के लिए धन्यवाद 😊
High on emotional quotient.great
Thanks😊