( चित्र दैनिक जागरण से )
व्यंग्य की विधा मे लिखा हुआ लेख !….
हमारी नज़रों के सामने था…..,
लेखक का लेख सत्य वचन को
सटीक बता रहा था……
चित्र को देखते ही….
हमारी कलम भी चल पड़ी ……
शब्दों को चुनने की जगह…..
डायरी के पन्ने पर, रेखाचित्र अंकित करके…..
अपने सफर पर ,आगे चल पड़ी……
हमारा दिमाग ,परिवार और समाज मे….
चित्र के प्रतिरूपों को खोजने लगा …..
लेखक के भावों के साथ….
सहानुभूति के भाव को, जतलाने लगा….
अंग्रेजी नववर्ष के आगमन के साथ….
उत्साह से भरपूर लोंग नज़र आते हैं….
उत्साह के अतिरेक मे,खुद से वादे तमाम….
करते हुए समझ मे आते हैं…..
चेहरे पर होती है ,ज़रा गंभीर सी भावभंगिमा…..
सबसे मुश्किल होती है …..
खुद के भीतर की ,बुरी आदतों को चुनना…..
शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य,काफी हद तक…..
कसरत पर निर्भर करता है…
यह मै नही कहती !
विद्वानों, विचारकों और चिकित्सकों का
समूह कहता है…..
खान पान ,व्यहवार के अलावा…..
शारीरिक व्यायाम की बातें…..
पुरजोर तरीके से बतायी जाती हैं….
खुद के जीवन को जीने के लिए …..
विशेषज्ञों के अनुरूप, ढलने की बात
सलीके से समझाई जाती है…..
इस तरह के लेख को पढ़ने के बाद….
सकारात्मक विचार के साथ….
क्षणिक जोश भी आता है….
लेख की सार्थकता बतला देता है….
लेकिन !कुछ ही पलों के बाद मन…..
दिमाग को भरमा देता है….
भारतीय समाज ,अपने खाने पीने की
विविधता के लिए…..
पहचाना जाता है……
अधिकांश परिवारों मे,स्वाद पर आधारित खाना ही…..
अच्छे स्वास्थ्य का पैमाना होता है……
आज के समय मे महानगरों, नगरों और कस्बों मे
रहने वाला युवावर्ग…..
पूर्ण स्वास्थ्य के लिए…..
कसरत के महत्व को समझता है…..
लेकिन ! फिर भी…..
हमारे समाज मे एक, तबका ऐसा भी है,जो….
कसरत जैसी चीजों के लिए, समय निकालने की बात को…..
समय की बर्बादी समझता है…..
देखते ही देखते ,हिंदी कैलेंडर के अनुसार
पौष माह बीत गया…..
ठिठुरन भरी सर्द हवा का साथ छूट गया….
कसरत न करने के लिए
नया बहाना सूझ गया……
माघ महीना स्वादिष्ट खाने के साथ सरक गया…..
बात फाल्गुन माह पर टिकी…..
कसरत के लिए बनी हुई सारणी…..
फाल्गुन माह के साथ,एक बार फिर से दिखी…..
सर्द मौसम मे खाया हुआ स्वादिष्ट खाना…..
शरीर पर ,बढ़ी हुई चर्बी के साथ दिख रहा था…..
आलस्य का स्तर अपनी स्केल पर
ज़रा और ऊपर खिसक रहा था….
महिलाओं, बाल वर्ग और पुरूषों के साथ…..
हर कोई आलस्य के चुंगल मे फंसता हुआ दिख रहा था…..
शायद ! यही कारण था जो ,समाचार पत्र मे छपा चित्र
चिरपरिचित सा लग रहा था…..
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बहुत बढ़िया