(चित्र दैनिक जागरण के द्वारा )
कभी-कभी अचानक से किसी तस्वीर को देखकर आँखें और दिमाग वहीं पर ठहर जाता है,क्योंकि इस तरह की तस्वीरें बोलती हुई सी लगती हैं।अनजाने मे ही कहानियाँ कहती है।
तस्वीर मे दिखते हुए “पेलिकन पक्षी” भी बड़े बातूनी लग रहे थे। ऐसा लग रहा था मानव स्वभाव के अनुरूप ही एक दूसरे से बातें कर रहे हो ,उनकी बातों को मैने अपने शब्दों मे लिख डाला….
वैसे तो हम बड़ी दूर से ,उड़कर आये हैं।
बहुत सारी मुसीबतों को ,झेलकर आये हैं।
ऊंगलियों मे गिनना चाहो ,तो गिन लो।
अगर न गिन सको तो, किताबों कहानियों मे पढ़ लो।
कितने देशों मे ,अपना घर बनाये हैं।
बस हर जगह मौसम के ,कारण सताये हैं।
हमारे पंखों की मजबूती, हर मौसम मे दिखती है।
बर्फीला तूफान हो या ,रेतीला रेगिस्तान बड़े से बड़े
खारे समुद्रों को भी, पार करने का दम रखते हैं।
संगठन मे शक्ति है, हमे इस बात से ज़रा ज्यादा ही आसक्ति है।
इसीलिए हमेशा बड़े बड़े झुण्डों का साथ है।
बड़े मजबूत इरादों को लेकर उड़ते हैं।
जहाँ अनुकूलता दिखती है, बस वहीं ठहरते हैं।
शोर हमारा कानों को हिला देता है।
वीरानों को “कोलाहल” से भर जाता है।
सोये पड़े “जलस्रोतों” को जगा जाता है।
प्रकृति के हर सितम को ,अपना समझ कर सहते हैं।
समुद्र हो झील हो या तालाब, हर जगह गमन करते रहते हैं।
सुन्दरता हमारी अद्भुत होती है।
पीली गुलाबी चोंच बहुत कुछ कहती है।
बातें करना हमे बहुत सुहाता है।
किसी की इतनी जुर्रत कहाँ ,जो हमारे बातूनी स्वभाव को रोक पाता है।
आकाश से तफरीह करके, बस अभी ही तो आई हूँ।
कथा ,कहानियों का पिटारा ,पेट मे छुपाई हूँ।
( चित्र internet के द्वारा )
अभी-अभी देखा लड़कियों को “खुसर फुसर”करते हुए।
बड़ी “तन्मयता”के साथ चुगली करते हुए।
अपनी हंसी को रोक नही पा रही हूँ।
अपने और उनमे समानता ही समानता पा रही हूँ ।
अब जल्दी से बताओ मेरे पंख कैसे दिख रहे हैं।
उजले सफेद या ज़रा से मैले दिख रहे हैं।
अब ये बातें हमारी तो कभी ,खत्म न होने वाली ।
लेकिन ऋतु बरसात की ये, बड़ी “मतवाली”।
मेरी बातों को ज़रा ध्यान से सुनो ,और फिर गुनो।
दूर आकाश मे ,बादलों ने डेरा डाला है।
आकाश को “उमड़ती घुमड़ती” घटाओं ने
बड़े प्यार से सजाया है।
चलो अब ज़रा सा घूम कर आते हैं।
थोड़ी धूम भी मचाते हैं।
“रिमझिम बारिश” के आस पास ही
किसी तालाब को तलाशते है।
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बहुत ही अच्छा लिखा है आपने और खूबसूरती से अभिव्यक्ति की है। 👍👌👏💐
प्रशंसा करने के लिए धन्यवाद तस्वीर अपने आप ही बोल रही थी😊
आप का यह लेख पढ़ते समय चेहरे पर कभी खिलखिलाहट तो कभी मुस्कुराहट छलक जाती हैं…
मूसीबतो से लड़ना तो कभी मजबूत इरादे ले कर आगे बड़ना ,यही जीवन है सिखाता है…..
मेरी पोस्ट को पढने के बाद आपकी टिप्पणी ने मेरे उत्साह को बढ़ा दिया ।इस तस्वीर को देखकर थोड़ी देर तक ,मै भी खिलखिलाती रही मानव जीवन की तस्वीर जैसी ही दिखती है।पोस्ट को पसंद करने के लिए धन्यवाद 😊