( चित्र दैनिक जागरण के द्वारा )
ज़रा ध्यान से देखिये,हम बच्चों की टोली
रहते हैं हम,हमेशा हमजोली
तोड़ नही सकती कभी हमे
नफरत की बोली…
रहते हैं हम हमेशा, अपने मे मस्त..
करते रहते हैं हमेशा ,हँसी और ठिठोली.,
त्योहार कोई भी हो ,जल्दी जल्दी आना चाहिए…
हमारी टोली को तो सिर्फ, मस्ती का बहाना चाहिए..
हमारे जज्बात हमेशा ,अनमोल होते हैं…
प्यार के दो मीठे बोल के, बस मोल होते है…
हिरनो की तरह ,कुलाचे मारते हैं…
इधर उधर चंचलता ,के साथ भागते हैं…
हमारी निश्छल खिलखिलाहट ,और हँसी बालमन
का आइना होती है….
कुटिलता और छल जैसे ,भावों को हमेशा अपने से
बहुत दूर रखती है…
अभी देखना अभी हम ,अपने हाथों को फैलाते हैं..
बस ज़रा सी देर मे ,आसमान को छू कर वापस आते हैं..
पांव को हमेशा जमीन के, आस पास ही रखते हैं…
अब ये मत सोचना कि, हम हमेशा आकाश मे ही
उड़ान भरते रहते हैं….
सयाने लोंग मौसम और महीनो के, आधार पर त्योहारों
को खोजते हैं…
हमे आसपास की ,चहल पहल बता देती है…
हवा की बयार के साथ ,उमंग और उत्साह को हमारे
अंदर समा देती है..
ज्यादा बातें करना हम बच्चों की, आदत मे शामिल है…
लेकिन अभी तो, ढेर सारा धमाल बाकी है…
देख कर बच्चों की खुशी को ,अब तो खुश हो जाओ..
भगवान की दी हुई हँसी को ,अपने चेहरे पर ठहाके न सही
मुस्कान के साथ सजाते जाओ…
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Nice write
Thanks 😊