छोटे-छोटे कदमों का साथ……
कहीं किलकारी, कहीं खिलखिलाहट, कहीं मुस्कान…..
तो कहीं तोतली सी जुबान में ही ढेर सारी बात…..
नन्हे बच्चों का उमंग और उल्लास…..
न बड़ा डील-डौल न बड़ों सा दिमाग…..
नन्हे नन्हे हाथ और पांव…..
लेकिन गज़ब का आत्मविश्वास…..
दौड़ता भागता गिरता संभलता…..
कहीं धूल मिट्टी,तो कहीं कीचड़ के साथ सनता…..
फिर भी चेहरा मुस्कान के साथ सजता…..
आंखों में अगर आंसू भी छलके…..
ज़रा सी देर गालों पर ठहरे…..
फटाफट गालों से फिसले…..
दिख जाते हैं बहे हुए आंसुओं के सूखे हुए निशान…..
क्षण में तोला क्षण में मासा वाला दिखता है अंदाज……
बच्चों के बचपने की यही है सबसे बड़ी पहचान…..
पालतू जानवरों का और बच्चों का है अगर साथ…..
तो दिखता है नन्हे से दिमाग के साथ भी दोस्ताना अंदाज……
ऐसा लगता है मानो बोल रहे हों
तुम्हीं तो हो हमजोली……
तुम्हारे सारे खिलौनों को अपना ही माना है…..
चाहे वो हो गुड़ियों का खेल,छुपमछुपाई….
लगड़ीं टांग हो, या हो पकड़म पकड़ाई…..
दिखती ऊर्जा से भरी हुई भागदौड़…..
उल्लास और उमंग का दिखता नहीं कोई छोर…..
बच्चों की जिज्ञासु प्रवृत्ति का है नहीं कोई तोड़….
जीवन को जीने का अंदाज कितना
बेफिक्र सा नज़र आता है……
बच्चों का बचपन उन्हें नकारात्मक सोच से
परे रखता है……
बचपन से आगे निकल चुका हुआ इंसान……
बच्चों के बचपने के भाव,उनका खिलंदड़ अंदाज
देखकर अपनी मुस्कान को नहीं रोक पाता है…..
जीवन की आपाधापी में नकली चेहरों के पीछे छिपे
हुए इन्सानों के भीतर मानवीय संवेदनाएं और आपसी सहयोग
के भाव को खोजता नज़र आता है……
बच्चों का नि:स्वार्थ सहयोग ……
आपस का मेलजोल….
मन को भा जाता है……
एक बार फिर से शोर करता हुआ
नन्हे बच्चों का झुंड पार्क में खेलता
दौड़ता भागता नज़र आ जाता है…..
अपने आप को बड़ा दिखाने की असफल करता हुआ
बच्चों का झुंड……
खिलखिलाता हुआ आंखों के सामने से निकलता दिख जाता है……
( सभी चित्र इन्टरनेट से)
3 comments
bachpan ke kayee rup…..khubsurat varnan bachpan ka.
पोस्ट को पढ़कर अपने विचार रखने के लिए धन्यवाद …..सच में बचपन के कई रूप ..हर समय दिखती है…. बच्चों के साथ दौड़ती भागती हुई सुनहरी धूप ….😊
कोई. लौटा दे वो बीते दिन।
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