सामान्यतौर पर हमारा समाज,पारिवारिक संबंधों को….
किसी एक दिन ही, महत्व देने की बात को नही स्वीकारता…..
वर्तमान मे संचार माध्यमों के जरिए प्रेरित होकर….
विशेष दिन को विशेष तरीके से मनाने की परंपरा
को समाज स्वीकारने लगा है…..
माँ और पिता के अटूट संबंध जैसे रिश्ते भी….
इन विशेष दिनों मे ज़रा सा निखरे हुए से दिखते हैं……
समाज की नयी विचारधारा के साथ
सामंजस्य बिठाते हुए से दिखते हैं……
समाचार पत्र में पिता के सम्मान में गद्य पढ़ते समय
छू गयी दिल को गहराई से एक पंक्ति…….
“पिता छोटे से परिंदे का है बड़ा आसमान”
सार्थक लगती है लेखक की विचारधारा…….
ये पंक्ति हर परिवार की बात बताती है……
बच्चों की नज़रों के जरिए, वास्तविकता से रूबरू कराती है……
पिता की अहमियत सामान्य जीवन के अलावा
ईश्वरीय जगत मे भी मानी हुई है…….
इसीलिये माँ के अनेक रूपों के साथ साथ…….
परमपिता परमेश्वर की भी आराधना की गयी है …….
पिता परिवार की धूरी होता है…..
परिवार की तमाम जिम्मेदारियों को
अपने कंधों पर वहन करता है…..
पिता और बच्चे का प्यार अनमोल होता है…..
ज़रा सा भय और सम्मान के पीछे दुबका हुआ सा
नज़र आता है…..
बच्चों मे भी पिता और बेटी का रिश्ता
ज्यादा ही मधुर होता है…..
बेटी के लिए उसका पिता किसी नायक से
कम नही होता……
प्यार और विश्वास के अनगिनत फूलों के साथ
परिवार की बगिया मे खिला होता है……
नन्हे बच्चे के कोमल हाथों को
अपनी बड़ी सी काया के साथ
थाम कर रखता है……
तपती धूप और जीवन की कठिनाईयां……
पिता की छत्रछाया में धूमिल हो जाती है …….
मानसिक संबल , बच्चों मे विश्वास के साथ उत्साह
पिता की सलाह बढ़ाती है……..
बच्चों की मुस्कान पिता के लिए
औषधि का काम करती है …
पिता को स्फूर्ति के साथ ऊर्जा से भरती है…..
(समस्त चित्र internet से )
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Such a lovely poem shared
Thanks ☺
दिल को छू लिया है, आपके लेख ने