जीवन “सृष्टि” का “अनमोल तोहफा” होता है।
किसी का छोटा तो किसी का बड़ा होता है।
ज़रा सा ध्यान से देखिये “आकाश”से “पाताल” तक
हर जगह जीवन दिखता है।
“ब्रहम्मांड” मे अनेकों जीव रहते हैं।
इनमे से कई हमेशा “मूक” रहते हैं।
अपनी खुशी अपनी “पीड़ा” या अन्य भावों को
बोलकर नही केवल अपने “व्यवहार” से जताते हैं।
कई दिनो से यही बात मेरे मन मे चल रही थी।
मेरे “मन मस्तिष्क” मे अपना घर कर रही थी।
” सृष्टि रचयिता” ने हर जीव को अलग-अलग
” उत्तरदायित्व “थमाये हैं ।
हमे लगता है ये “कीड़े मकोड़े” पता नही इस
“धरा” पर क्या करने आये है।
कभी सोचो अगर दिमाग से कभी सोचो अगर ध्यान से
“प्रकृति” की “विचित्रता” दिखायी देती है।
इन कीड़े मकोड़ो के बिना “धरा” भी “अकुलाई” रहती है।
दिन या रात के समय पेड़ पौधों के ऊपर
इन “कीड़े मकोड़ो” का पूर्ण “आधिपत्य रहता है।
हर जीवन का अलग-अलग काम इस “भू मंडल”
पर होता है।
” तितलियाँ “हमेशा अपने रंग बिरंगे पंखो से “आकर्षित” करती है।
हमेशा “शरमाती सकुचाती “फिरती हैं।
जब देखो तब “चैतन्य” दिखती है।
” जुगनू” बड़ी अच्छी बात सिखाता है थोड़ा सा “उजाला” दिखाकर
ही आँखो मे “चमक” दे जाता है।
लगन और मेहनत से काम करना “मधुमक्खी” सिखाती है।
फूलों के रस का उपयोग करने मे कितनी “शालीनता” दिखाती है।
शहद की “मिठास “से हम सब का जीवन भरती है।
कितने “कीड़े मकोड़े” ऐसे होते हैं जो “धरा” को “उपजाऊ” बनाते हैं।
अनजाने मे ही काम कितना महत्वपूर्ण कर जाते हैं।
न छेड़ो इन्हे तो ये नुकसान नही पहुँचाते है।
छेड़ने पर छोटे होने के बावजूद भी अपनी
“अहमियत” दिखा जाते हैं।
( समस्त चित्र internet के सौजन्य से )
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Very Nice 👌
Thanks 😊