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आकाश की लालिमा की तरफ नज़रों को फेरा…..
तो दिख गया परिंदो और आकाश का मेल…..
नज़रों ने ध्यान से देखा फिर परिंदो का आकाश मे खेल…..
परिंदो की दुनिया भी कितनी प्यारी होती है……
दुनिया जहान से निराली होती है…..
ज़रा सा इनमे दुनियादारी भी होती है…..
कभी-कभी ऐसा लगता है……
सब कुछ ज़रा सा थम जाये…..
चारों तरफ सिर्फ परिंदो की उड़ान ही दिख जाये…..
न जाने कितने तरह के परिंदे
इधर उधर विचरते हैं…..
कुछ जंगलो मे तो कुछ शहरी वनस्पतियों
के बीच मे फलते और फूलते हैं….
रंग बिरंगे पंखों के बीच मे सजता है इनका संसार….
कुछ को तो दाना दुनका मे ही मिलती है तृप्ति…..
तो कुछ की चोंच को कीड़े मकोड़ो और मांस से
होती है गहरी आसक्ति…..
कई पंक्षी होते हैं प्यार और विश्वास के प्रतीक…..
जीवन को देते हैं प्यार की सीख….
तो कुछ होते हैं सद्भभावना और शांति के प्रतीक…..
कुछ परिंदों की उड़ान निराली होती है……
पंखों की ताकत,जोश और हिम्मत की
सारी दुनिया पुजारी होती है……
देख कर परिंदों की दुनिया को
मन खुशी से भर जाता है…….
बाँग देता हुआ मुर्गा घड़ी की सुइयों के बगैर ही
भोर होने की बात बतलाता जाता है….
पक्षियों के व्यहवार हमे जीवन
की सीख भी सिखलाते हैं……
गौरैयों की चहचहाहट आपसी बातचीत
के साथ-साथ प्रफुल्लता की निशानी होती है……
वहीं मैना लड़ाकू जनो की कहानी होती है……
तोता रटी रटायी बातें बार बार बोलता जाता है…….
समाज के कथित सभ्य जनो को आइना दिखा जाता है…..
शुतुर्मुर्ग कुछ और ही बोलता है…
तूफान आने पर रेत के टीलों को खोजता है…..
मिट्टी मे मुँह छिपाने से आता हुआ
तूफान टल नही जाता….
तूफानों का डट कर सामना करने से ही
आते हुये तूफानों का रुख बदल जाता…
बगुला ध्यान की बात बता जाता….
किसी भी काम को करने मे एकाग्रता की
बात बोल जाता….
बहुत सारे परिंदे ऐसे हैं…
जिन्हें दे रखा है प्रकृति ने
साफ और सफाई का काम….
नही कह सकते ऐसे परिंदों को हम अनुपयोगी और बेकार….
इंसान जीवन को जीने की भागादौड़ी मे लगा होता है…..
अपने आस-पास प्रकृति की दी हुई चीजों से जुड़ा भी नही होता…..
जीवन की अनमोल सीख सिर्फ किताबों मे ही नही होती…..
ज़रा सा प्रकृति को ध्यान से देखिये…..
किताबों कहानियों की विषय वस्तु से भरी होती है…..
( समस्त चित्र internet के द्वारा )
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bahut hi sundarta se likha apne…….parindon si jindagi hoti to shayad ham asmaan ko bhi ek rang men rangne ka prayas karte jaise dharti ko karna chaah rahe hain………aur bechare parinde wahan bhi kinkartabyabimudh hokar dekhte rah jaate ………bahut hi umda koti ke kavita likha apne. parinde hamare bahut hi kaam ke hain aur bahut khuchh sikha jaate hain.
सृष्टि के हर जीवन का अपना अलग ही महत्व है….शायद परिंदे मनुष्यों के बारे मे कुछ अलग ही सोचते होंगे….मेरी कविता को पढ़ने के बाद अपने विचार को देने के लिए धन्यवाद 😊
बिल्कुल सही कहा आपने।कोई भी जीवन और पौधा ऐसे ही नहीं हैं सृष्टि में।बिल्कुल परिंदे और सभी जीव मनुष्यों के बारे में सोचते होंगे।स्वागत आपका।