वर्तमान दौर पर्यावरण सुरक्षा और संरक्षण का चल रहा है……
सारा विश्व प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है…..
प्रदूषण के कारण ही लोग दमघोंटने वाली हवा और दूषित जल के साथ जीवन जी रहे हैं…..
प्लास्टिक क्रांति के इस दौर में,प्लास्टिक के विकल्प के रूप में घांस परिवार का सदस्य बांस खड़ा नज़र आता है…..
पुराने समय की बांस की टोकरियों के साथ तमाम बातें जेहन में लाता है…..
हमेशा से सुनी थी आभूषणों के लिए “खरे सोने” की बात….
धरा के आभूषणों की बात करें तो….
हरियाली होती है,आभूषण के रूप में, धरा के साथ….
बांस पर्यावरण का मित्र होता है….
इसी कारण से बहुउपयोगी होता है….
वनस्पतियों के संसार में “हरा सोना” कहलाता है…
बांसों के झुरमुट बड़े रहस्यमई से लगते हैं….
हमेशा अपनी तरफ ध्यान खींचते हैं…
मानव जीवन के समान ही
सामाजिक प्राणी दिखते हैं…
समूह का साथ हमेशा इन्हें भाता है….
ऐसा लगता है फुसफुसा कर बातें कर रहे हों….
खुद ही बातों से सहमत और असहमत हो रहे हों….
तेज आंधी तूफान में भी कथित बांस का वृक्ष….
दृढ़ता के साथ खड़ा नज़र आता है…
आकाश को छूती हुई पत्तियों के साथ साथ….
जड़ों की गहराई की बात को भी बतलाता है….
बोला कभी बन जाता हूं, चित्रकार की कूची…..
कभी कान्हा जी की बांसुरी बन जाता हूं…..
दर्प के अंदर प्रवेश करते ही….
अर्थी के साथ की बात याद करता जाता हूं ….
सफलता और लक्ष्य को पूरा करते समय ….
बांस की बनी सीढ़ियों में नज़र आता हूं….
सबसे ज्यादा उपयोगी तो खुद को कागज़
बनने के बाद पाता हूं….
जब ज्ञान के दीपक को कागज़ के ऊपर …….
शब्दों के साथ रोशन करता जाता हूं……
शिल्पकला ,हथकरघा उद्योग का सहभागी बनकर…..
गरीबों से लेकर अमीरों तक का साथ निभाता हूं….
बस इसीलिए “हरा सोना” कहलाता हूं….
बांस प्रदूषण रहित ईंधन है, क्योंकि यह जलने पर बहुत कम कार्बन डाईआक्साइड गैस का उत्सर्जन करता है….
बांस की उपयोगिता इस बात से समझ आती है कि,आज भी लगभग 1500तरीकों से बांस का उपयोग किया जा सकता है,और किया जाता है….
आर्युवेद में बांस बहुत उपयोगी माना जाता है…
च्यवनप्राश बनाने के लिए जरूरी पदार्थ वंशलोचन बांस के तने से ही प्राप्त होता है….
हमारे देश के बस्तर के अबूझमाड़ जैसे इलाकों में आदिवासी लोग, बांस के पेड़ को देवी देवताओं के समान पूजते हैं…..
बांस का उपयोग करने से पहले अपने रीति रिवाज और परंपरा के अनुसार बांस को सम्मान देते हैं….
बांस में उच्च तीव्रता के विकिरण को सोखने की क्षमता होती है,जो मोबाइल टावरों के दुष्प्रभाव को रोकने में मददगार साबित हो सकती है…..
बांस की जड़ जमीन को इतनी मजबूती से पकड़ती है कि, तेज आंधी तूफान भी इसे उखाड़ नही पाते……
मिट्टी के कटाव को रोकने की क्षमता के कारण बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए बांस वरदान है….
1927के कानून के अनुसार बांस को वृक्ष माना गया था, लेकिन भारतीय वन संशोधन विधेयक2017की मंजूरी के बाद अब कानून में बदलाव की बात दृढ़ता के साथ सामने लायी गयी….
बांस के तने के प्राकृतिक गुणों के कारण यह, अनेक वाद्ययंत्रों को बनाने के काम में आता है….
बांस के रेशे से बने कपड़े एलर्जी रहित होते हैं…..
बांस से बने घर भूकंप रोधी होते हैं…..
विश्व में अरबों व्यक्ति बांस से बने घरों में रहते हैं…….
बांसुरी बांस से बनी होती है, जिसके पौधे को दिव्य माना जाता है…..
बांस के पौधे को भारत में ही नही, सारे विश्व में उन्नति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है….
शादी हो या फिर कोई अन्य मांगलिक कार्य,हर जगह इस पौधे को उपयोगी माना गया है….
श्री कृष्ण के बालरूप के साथ हमेशा बांसुरी रहने का मतलब , नकारात्मक आसुरिक शक्तियों को कमजोर करना औरउनसे दूर रखना रहा होगा….
सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर बांस अपने इन्हीं दिव्य गुणों के कारण, सारे विश्व में सम्मान की
दृष्टि से देखा जाता है….
(सभी चित्र इन्टरनेट से)
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Truly commendable post
Thanks 😊